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नैनीताल की भारती जीना के सपने को पिरुल ने किया साकार, उत्पाद बनाकर महानगरों में भी बनाई पहचान

Bharti jeena; Nainital story:- उत्तराखंड के पहाड़ों में बहुतायत में मिलने वाले चीड़ के पेड़, उत्तराखंड के लोगों के लिए अक्सर अभिशाप कहे जाते हैं। परंतु हाल ही में युवाओं द्वारा चीड़ से बनाए जा रहे उत्पादों के कारण, लोगों के जेहन में चीड़ के पेड़ व इसकी पत्तियों को लेकर तस्वीर बदलती नज़र आ रही है। युवाओं के हुनर और आत्मविश्वास के कारण आज चीड़ के पत्तियों से कई उत्पाद तैयार कर बाजारों में बेचे जा रहे हैं। इन उत्पादों की केवल स्थानीय बाज़ार में ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों में भी काफ़ी मांग हैं।

इन उत्पादों को बना कर नाम अर्जित करने वाली उत्तराखंड की ऐसी ही एक युवा है भारती जीना। भारती ने चीड़ की पत्तियों से गिरने वाले पिरूल को इस्तेमाल कर घरों में सजावट का माध्यम बनाया है। उनके द्वारा पिरूल से टोकरियां, फ्लावर पॉट समेत अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। ये उत्पाद सैलानियों के साथ ही स्थानीय लोगों को भी बेहद पसंद आ रहे हैं।

मूल रूप से रामगढ़ ब्लॉक के ध्वेती गांव की रहने वाली भारती जीना (भूमि) आज पिरुल को इस्तेमाल कर अच्छी आय अर्जित कर रही है। भारती का कहना है कि जिस पिरुल को लोग अभिषाप मानते हैं, उसे उन्होंने आय का जरिया बना लिया है। भारती ने ये अनोखी कला अपने दादा से सीखी थी। उनके द्वारा पिरुल से तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी में भी लगाई जाती है। बता दिया जाए कि भारती हल्द्वानी से संगीत विषय में बीए कर रही हैं। उनके पिता तेज सिंह किसान और मां कमला जीना आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत हैं।

भारती का मानना है कि सरकार और प्रशासन के सहयोग से पिरूल के उत्पादों को बड़े स्तर पर बाजार मिल सकता है। इस के कारण स्थानीय लोगों में रोजगार भी बढ़ेगा।

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