देहरादून: चमोली जिला में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने पूरे देश को झनझोर कर रख दिया है। इस आपदा को साल 2013 में केदारघाटी में आई आपदा से जोड़कर देख रहे हैं। चमोली के रैणी गांव व तपोवन में बाढ़ ने कहर बरपाया है। अभी तक 35 शवों को बचाव दल ने बरामद किया है और 10 की पहचान हो गई है।
तवोपन की सुरंग में अभी भी 35 लोगों के फंसे होने की संभावना है और उन्हें बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन पिछले चार दिन से जारी है। बता दें कि ग्लेशियर फटने की वजह से आई बाढ़ के बाद तपोवन डैम तबाह हो गया था।
वहीं एक कुत्ते की स्टोरी वायरल हो रही है जिसका नाम है ब्लैकी… जिसकी उम्र 2 साल बताई जा रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो ब्लैकी सुरंग में काम करने वालों के साथ काफी घुला मिला रहता था। वह उनके साथ खाना खाता था। प्रोजेक्ट में काम करने वाले कामगार ही ब्लैकी को देखते थे।
ब्लैकी वहीं पैदा हुआ था जहाँ एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन) हाईड्रल प्रोजेक्ट बनाया गया था। लिहाज़ा वह आस-पास काम करने वाले कामगारों के बीच हुआ बड़ा हुआ था। वह सुबह के वक्त सुरंग के पास आता था और कामगारों के साथ खेलता था। कामगारों के साथ ही वह वापस चले जाता था।
रविवार ) को जब ब्लैकी रोज़ की तरह उसी जगह पर आया तब उसे कोई नज़र नहीं आया और तब से वह बैचेन है। प्रोजेक्ट में काम करने वाले रजिंदर कुमार ने इस बारे में बताया कि वो अपने काम के दौरान ब्लैकी को खाना देते थे, सोने के लिए बोरा भी देते थे। पूरे दिन भर ब्लैकी आस-पास ही रहता था और शाम के वक्त काम करने वालों के साथ ही निकलता था।
बचाव कार्य के दौरान सुरक्षा टीमों ने उसे वहाँ से हटाने का प्रयास किया लेकिन वह बार-बार अपनी जगह पर वापस आ जाता था। स्थानीय लोगों का कहना है कि ब्लैकी को उम्मीद है कि उसके दोस्त जल्द सुरंग से सही सलामत वापस लौटेंगे। इस घटना से एक कहावत पूरी तरह सही साबित होती है कि कुत्ते इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं।