बागेश्वर: उत्तराखंड में पॉलीथिन प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। पर्वतीय क्षेत्रों में पॉलीथिन उपयोग होने के बाद जलाई जाती है, जो वातावरण के लिए काफी खतरनाक है। वहीं मैदानी क्षेत्रों में भी पॉलीथिन को दोबारा इस्तेमाल व रिसाइकल के संबंध कोई भी बड़े प्लान को घरातल पर नहीं उतारा गया है। ऐसे में लोगों के पास पॉलीथिन जलाने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं है।
वैसे तो उत्तराखंड में पॉलीथिन का इस्तेमाल बैन है लेकिन फिर भी इसका इस्तेमाल होता है। बागेश्वर जिला प्रशासन अब पॉलीथिन इस्तेमाल करने वालों पर जुर्माना लगाएगा। वहीं जो पॉलीथिन की सप्लाई करते हुए पकड़ा जाएगा उससे एक लाख से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना वसूला जाएगा।
बागेश्वर नगर पालिका पर्यावरण मंत्रालय के आदेश के बाद अब सख्त होता दिखाई दे रहा है। जिले में पॉलीथिन के दुष्परिणाम को लेकर जन जागरूकता अभियान शुरू करने जा रही है। इस अभियान के तहत 50 माइक्रोन से नीचे के पॉलीथिन बैग, कैरी बैग, थर्माकोल गिलास आदि का निर्माण करने वाले पर पांच लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इसके अलावा पॉलीथिन स्टोर, बेचने और सप्लाई करने वाले से एक लाख रुपये तक का जुर्माना वसूला जाएगा। आम जनता को भी बचने की जरूरत है। अगर कोई बाजार में पॉलीथिन का इस्तेमाल करते पकड़े जाएंगे, उनसे 100 रुपये तक का जुर्माना लिया जाएगा।
नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने कहा कि पालिका लोगों को सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन को लेकर जागरूक कर रही है। पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वालों से जुर्माना वसूला जाएगा। शहर को पॉलीथिन मुक्त बनाने का सपना जनता के सहयोग से ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हरे-भरे पहाड़ और स्वच्छ पर्यावरण उत्तराखंड को ईश्वर का तोहफा है। इसे सहेजना हम सबकी जिम्मेदारी है।
इसके देखते हुए नगर पालिका अभियान शुरू कर रही है। सरकार पॉलीथिन पर पहले ही पूरी तरह से रोक लगा चुकी है। अब 50 माइक्रोन से नीचे के बैग बनाने और बेचने पर भी प्रतिबंध लागू किया जा रहा है। अभियान के तहत लोगों से पॉलीथिन का इस्तेमाल बंद करने की अपील की जाएगी। उन्हें सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन के बारे में भी बताया जाएगा। पहले अपील के माध्यम से लोगों को समझाया जाएगा, जो नहीं मानेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।