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उत्तराखंड: जांच शुरू होने से पहले राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के चेयरमैन का इस्तीफा

देहरादून: आयुष्मान योजना में गड़बड़ी की चर्चा पूरे राज्य में थी। ऐसे में अब सरकार जांच कराने की तैयारी कर रही है। जांच शुरू होने से स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से दो महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही प्राधिकरण के सीईओ अरुणेंद्र सिंह चौहान को पद से हटाय़ा गया था।


सीएम पुष्कर धामी का भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान जारी है। आईएएस रामविलास यादव, उद्यान निदेशक बावेजा , आयुर्वेद विवि के वित्त नियंत्रक अमित जैन, घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई गड़बड़ी के खिलाफ लिया गया एक्शन उदाहरण है।

सीएम पुष्कर धामी को लगातार आयुष्मान योजना में हो रही बढ़बड़ी की शिकायत मिल रही थी। आयुष्मान योजना में फिजूल के खर्चों पर करोड़ों रुपये ठिकाने लगाने की शिकायत थी। जो पैसा सरकार आयुष्मान मैनेजमेंट को लोगों को पांच लाख का निशुल्क इलाज देने के लिए दे रही थी, उस बजट को अफसर अपनी सुविधाओं पर खर्च करने की बात सामने आई।

बताया जाता है कि पहले आईटी पार्क में शानदार होटलनुमा ऑफिस खरीदा गया। इस ऑफिस में फर्नीचर, सोफे, उपकरणों, एलईडी टीवी पर करोड़ों का बजट ठिकाने लगाया। यहां अफसरों के कमरों में लाखों के सोफे, लाखों के टीवी लगाए गए। फिर आंख बंद कर अफसरों ने अपने चहेतों को यहां भर्ती किया। इस भर्ती पर भी सवाल उठे। उसके बाद आयुष्मान योजना में प्राइवेट अस्पतालों को इम्पेनेलमेंट करने का भी खेल हुआ। अर्जी फर्जी, सुविधा विहीन अस्पतालों को योजना से जोड़ा गया। इन अस्पतालों ने करोड़ो के फर्जी बिल लगा कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया। ये सब फर्जीवाड़ा अफसरों के सामने होता रहा, लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली।


कर्मचारियों के मेडिकल बिलों का कभी समय पर निस्तारण नहीं किया गया। इसके कारण प्राधिकरण के अफसरों ने सरकार की स्थिति कर्मचारी संगठनों के सामने कमजोर की। इन तमाम गड़बड़ियों का संज्ञान लेते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पूरे स्वास्थ्य प्राधिकरण की गड़बड़ियों का पोस्टमार्टम करने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार एक विस्तृत जांच शुरू होने जा रही है। जांच प्रभावित न हो सके, इसी को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले स्वास्थ्य प्राधिकरण से अरुणेंद्र चौहान को प्राधिकरण से हटाया गया। इसके एक सप्ताह बाद ही अध्यक्ष डीके कोटिया ने भी इस्तीफा दे दिया। जबकि उनका कार्यकाल जल्द दो महीने बाद ही समाप्त होने जा रहा था।

आयुष्मान योजना में गड़बड़ियों को लेकर कर्मचारी संगठन भी लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। सचिवालय संघ से लेकर अधिकारी कर्मचारी समन्वय समिति समेत सभी बड़े कर्मचारी संगठनों ने प्राधिकरण पर सवाल उठाए रखे हैं। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि गोल्डन कार्ड के नाम पर हर साल कर्मचारियों के खातों से करोड़ों रुपये स्वास्थ्य प्राधिकरण में जमा हो रहे हैं। इसके बाद भी कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। अभी तक दवाइयां, मेडिकल जांच तक योजना में शामिल नहीं की गई है। बड़े अस्पतालों को पैनल में शामिल नहीं किया गया है। कर्मचारियों ने करोड़ों के बजट को अपनी ऐशो आराम पर खर्च करने का आरोप प्राधिकरण पर लगाया था।

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