नई दिल्लीः पिछले एक हफ्ते से बैंक सुर्खियों में रहा है। पहले हड़ताल फिर एटीएम का इस्तेमाल करने पर अतिरिक्त शुल्क। मार्च का महीना शुरू होता ही बैंक एटीएम का सालाना शुल्क काट रहा है। अब पहली अप्रैल से भारतीय स्टेट बैंक से बचत बैंक खातों में मासिक औसत बैलेंस कम होने पर ग्राहकों की जेब ढीली करेगा। बैंक ने अपना ग्राहक आधार बढ़ाने के लिए जुलाई 2012 में इस शुल्क को समाप्त कर दिया था। बैंक अधिकारियों की के अनुसार ये जुर्माना आवश्यक न्यूनतम बैलेंस और कमी के अंतर पर आधारित होगा। बैंक ने इसके लिए तीन समूह बनाए है। पहले महानगर, शहरी क्षेत्र, सेमी अरबन क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सीमाएं
जानकारी के मुताबिक एसबीआई ने तय किया है कि महानगरों में बैंक अकाऊंट रखने वालों को 5000 रुपए मिनिमम बैलेंस रखना होगा। शहरी क्षेत्रों के लिए ये सीमा 3 हजार रुपए, सेमी अरबन क्षेत्र 2 हजार रुपए और गांव की शाखाओं में बैंक खाता रखने वालों को 1 हजार रुपए मिनिमम बैलेंस रखना होगा। एक अप्रैल से ऐसा नहीं करने वालों पर पेनल्टी लगाई जाएगी। एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंक के मौजूदा समय में लगभग 25 करोड़ बचत खाते हैं। बैंक ने नोटबंदी के बाद से बड़ी संख्या में खाते खोले हैं। इन खातों में शून्य जमा वाले खाते भी शामिल हैं। इन खातों का प्रबंधन करने पर खर्च आता है। इस कदम का मकसद सस्ती जमाओं को आकर्षित करना भी था, क्योंकि बचत खाते पर ब्याज महज 4 फीसदी है।
इतना जुर्माना देना होगा
यदि ग्राहक के खाते में रकम और 5000 रुपए के मासिक औसत के बीच अंतर 50 प्रतिशत या इससे कम है तो एसबीआई 50 रुपए का शुल्क और इसके साथ ही सेवा कर वसूलेगा। 50 से 75 फीसदी का अंतर होने पर जुर्माना राशि 75 रुपए और और 75 फीसदी से अधिक की कमी पर यह शुल्क 100 रुपए (सेवा कर अलग) होगा।