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पिथौरागढ़ की निकिता चंद ने किया कमाल, तीसरी बार एशियाई चैंपियनशिप को किया अपने नाम

Nikita Chand, Asian Boxing Championship, gold medal winner:- उत्तराखंड राज्य के नौनिहाल कजाकिस्तान में चल रहे जूनियर एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अपना दम खम दिखाते नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड राज्य के जिले पिथौरागढ़ से पांच नौनिहाल कजाकिस्तान में हो रहे इस मुकाबले के लिए चयनित किए गए थे। इन पांचों ननिहालों ने इस प्रतियोगिता में अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन दिखाते हुए भारत के लिए पदकों की लड़ी लगा दी। इन सब के बीच एक उभरती सितारा रहीं हैं निकिता चंद।

कजाकिस्तान में आयोजित जूनियर एंड यूथ एशियाई चैंपियनशिप के लिए निकिता को भारतीय टीम में चुना गया था। प्रतियोगिता के 60 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल मुकाबले में निकिता ने उज्बेकिस्तान की बॉक्सर को पहले ही राउंड में पराजित कर एशियाई चैंपियन का खिताब अपने नाम कर लिया। बता दिया जाए कि निकिता ने ये तीसरी बार एशियाई चैंपियनशिप अपने नाम की है। वर्तमान में निकिता बिजेंद्र मल्ल बॉक्सिंग अकादमी से प्रशिक्षण ले रही है और पीएनएनएफ स्कूल की छात्रा हैं।

पिथौरागढ़ के ग्राम बड़ालू निवासी सुरेश चंद की बेटी निकिता चंद वर्ष 2015 कुछ करने का जज्बा लिये मात्र नौ साल की उम्र में पिथौरागढ़ में अपने फूफा विजेंद्र मल के यहां आ गई थी। फूफा ने कक्षा 4 में उसका स्कूल में एडमिशन करा दिया। यहां उसने फूफा को बॉक्सरों के साथ पंच मारते देखा तो उसे भी बॉक्सिंग का शौक हुआ और उसने अपने फूफा की ही अकादमी में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया।

आज के इस वक्त में ज्यादातर बच्चे जहां मोबाईल में ट्रेडिंग रील्स, सोशल मीडिया और गेम्स के दीवाने बने फिरते हैं वही निकिता जैसी बेटी एक मिसाल है जो इतनी कम उम्र में भारत को एक बार नहीं बल्कि 3 बार स्वर्ण पदक दिला चुकी है।

पिथौरागढ़ के बड़ालू गांव की रहने वाली निकिता चंद एक ऐसी होनहार बेटी है जिन्होंने संसाधनों की कमी के बावजूद भी ये मुकाम हासिल किया है। बकरी पालक पिता की इस होनहार बेटी ने महज 9 साल की उम्र में ही मुक्केबाजी को अपना लक्ष्य बना लिया था, और फिर अपनी मेहनत के दम पर गांव से एशियन चैंपियनशिप तक का सफर तय किया। निकिता के पिता सुरेश चंद खेती-बाड़ी और बकरी पालन कर परिवार का पेट भरते हैं। निकिता की सफलता की खबर से उनके परिवार वाले भावुक हो उठे। निकिता की इस सफलता पर समूचे पिथौरागढ़ क्षेत्र और बडालू में खुशी की लहर है।

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