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उत्तराखंड: शाबाश निकिता चंद, आपकी कामयाबी ने पूरे पिथौरागढ़ का नाम रौशन कर दिया

पिथौरागढ़: आज हर क्षेत्र में बेटियों ने देश का शीश गर्व से ऊंचा किया है । ऐसा कोई काम नहीं जिसे करने में लड़कियां असफल रही हों, फिर वह हिमालय चढ़ना हो या फाईटर जेट उड़ाना , सभी मुकामों को हासिल कर नारी ने अपना नाम बहादुरी की मिसालों में शामिल किया है। वहीं आज ऐसी ही पहाड़ की बहादुर बेटी ने ममता रावत, तीलू रौतेली, बचेन्द्री पाल जैसी शक्तिशाली महिलाओं के साथ अपना नाम जोड़ लिया है । महज 15 साल की निकिता चंद ने एशियन चैंपियनशिप जीत कर पूरे पिथौरागढ़ का नाम रौशन कर दिया है ।

सीमांत के बड़ालू गांव की रहने वाली निकिता के पिता एक छोटे से किसान और बकरी पालक हैं। निकिता ने मात्र आठ वर्ष की उम्र से ही मुक्केबाजी को अपना लक्ष्य बनाया और गांव से निकलकर उसने एशियन चैंपियनशिप जीत ली । निकिता एक ऐसे परिवार में जन्मी जिसे अपनी आजीवीका के लिए संघर्ष करना पड़ता है। पिता सुरेश चंद थोड़ी बहुत खेती के साथ बकरी पालन करते हैं । एक खिलाड़ी बनने के लिए निकिता ने छोटी सी उम्र में ही बहुत त्याग किए । उन्होंने 8 वर्ष की उम्र में ही बॉक्सर बनने का सपना पूरा करने के लिए गांव छोड़ा और फूफा बिजेन्द्र मल्ल और बुआ मीना के साथ पिथौरागढ़ चली गई । बुआ-फूफा ने उनकी क्षमता को परख कर सोना बना दिया।

2018 में हरिद्वार में बेटी ने मिनी सब जूनियर बॉक्सिंग स्पर्धा जीती और अपनी से बड़ी आयु की बॉक्सर को हराया। 2019 में सब जूनियर स्टेट चैंपियनशिप जीतकर उन्होंने फिर अपने आप को साबित किया । 2020 में कोरोना के चलते प्रतियोगिताओं का दौर बंद रहा लेकिन निकिता ने अपना अभ्यास जारी रखा । सोनीपत में नेशनल चैंपियनशिप में जीता गोल्ड निकिता के लिए राष्ट्रीय टीम में चयन का आधार बना और 17 जुलाई को वह इंडियन टीम के साथ दुबई के लिए रवाना हुई । वहां सेमीफाइनल और फाइनल में विपक्षी को 5-0 से हरा कर कमाल कर दिखाया ।

निकिता की मां ने बताया कि बेटी का भविष्य बनाने के लिए , उसे छोटी उम्र में ही दिल पर पत्थर रख कर बुआ के साथ शहर भेज दिया। अब आज उस त्याग का फल भगवान ने उन्हें दिखा दिया । जब बेटी ने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया तो उस वक्त पिता घर पर नहीं थे । वह दूर कहीं जंगल में बकरियां चरा रहे थे और वहीं गांव के प्रधान उन्हें यह खुशखबरी देने के लिए घर पर इंतजार कर रहे थे। वापस आकर जब पिता को यह पता चला तो बेटी की उपलब्धि सुन पिता भावुक होकर रो पड़े । इसी तरह से बेटियों की उपलब्धियों का क्रम जारी है। प्रदेश की एसी ही होनहार बेटियों के कारण उत्तराखंड का नाम लगातार रौशन हो रहा है।

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