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छोटे से गांव की होनहार ममता का सफर, सेल्फ स्टडी के जरिए बनी आईएएस

Mamta IAS journey story:- कहते हैं जिस ने मेहनत का रास्ता चुन लिया, फिर किस्मत भी उसे उसकी मंजिल तक पहुंचा ही देती है। हम आए दिन ऐसी बहुत सी कहानियां सुनते हैं, जहां अपनी मेहनत से हजारों लोग सफलता का दरवाज़ा खोल लेते हैं। पर इन सब में कुछ कहानियां ऐसी भी होती हैं,जो हम सबको चौंका देती हैं। ऐसे ही एक कहानी हैं सुदूर जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाली ममता की।

ममता ने अपनी शुरुवाती शिक्षा दिल्ली के ग्रेटर कैलाश के बलवंत राय मेहता स्कूल से पूरी की है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदु कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के छोटे से गांव बसई की रहने वाली, ममता के पिता एक प्राइवेट नौकरी में कार्यरत हैं, वहीं उनकी मां एक कुशल गृहिणी हैं।

अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होते ही ममता ने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। चार साल की कड़ी मेहनत और लगन के बाद उन्होंने ये परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। साल 2019 में हुई इस परीक्षा में ममता को 556 रैंक प्राप्त हुई थी। लेकिन वे इस से संतुष्ट नहीं थी। वे आईएएस बनना चाहती थी, जिसके लिए उन्हें और बेहतर रैंक लाने की आवश्यकता थी।

ममता एक बार फिर तैयारी में जुट गई और इस बार, पहले से भी अधिक मेहनत करने लगी। उन्होंने अब 8 से 10 घंटे की जगह 10 से 12 घंटे पढ़ना शुरू कर दिया। सेल्फ स्टडी पर फोकस करते हुए उन्होंने एनसीईआरटी और बाकी अन्य पुस्तकों का भी सहारा लिया। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और यूपीएससी 2020 की परीक्षा में ममता ने देशभर में पांचवी रैंक हासिल की, और आईएएस बनने का अपना सपना पूरा किया।

बताते चलें की ममता अपने गांव की आईएएस बनने वाली पहली महिला है। अपनी सफलता का श्रेय ममता अपने मां-बाप, गुरुजनों और परिवारजनों को देती हैं। फिलहाल ममता यादव ट्रेनिंग ऑफिसर के तौर पर कार्यरत हैं। उनकी यह कहानी यह संदेश देती है कि अगर मेहनत करने की ठान लो, तो किस्मत भी बदली जा सकती है, और जिंदगी में कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

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