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उत्तराखंड में कोरोना वायरस के वजह से पहली बार नहीं होंगे छात्र संघ चुनाव !

छात्र संघ चुनाव कोरोना ने टाला, पहली बार राज्य बनने के बाद चुनाव नहीं

देहरादून: कोरोना महामारी वजह से इस बार छात्र संघ चुनाव होना मुश्किल नजर आ रहा है। राज्य में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए इस साल छात्र संघ चुनाव की अभी संभावना कम ही है। फिलहाल सरकार स्नातक और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षा को प्राथमिकता दे रही है। 

वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य बना था। उसके बाद से छात्र संघ चुनाव हर वर्ष होते आ रहे हैं। पिछले दो वर्षों से देखा गया है कि इन चुनावों में कड़े नियम और कानून को लागू किया जाता है। वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने सभी कॉलेजों में एक ही दिन छात्र संघ चुनाव करवाने की घोषणा की थी। इसके बाद दो बार छात्र संघ चुनाव संपन्न करवाए जा चुके हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस को देखते हुए चुनाव की संभावना कम ही दिख रही है। दूसरी ओर छात्र संगठनों ने करीब दो माह पहले ही चुनावों की तैयारियों करना शुरू कर दी थीं। 

देश में प्रतिदिन 70 हजार से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में कॉलेज खोलने का रिस्क नहीं लिया जा सकता है। उत्तराखंड में 17 सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय के अलावा 105 राजकीय महाविद्यालय हैं। इनमें  छात्र संघ चुनाव होते हैं। यह कॉलेज श्रीदेव सुमन विवि, कुमाऊं विवि और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि से संबद्ध है।

छात्र नेताओं की राय

छात्र नेताओं ने की मानें तो इस कोरोना काल में शारीरिक दूरी बनाना बहुत जरूरी है। ऐसे में छात्र संघ चुनाव संभव नहीं हैं। वर्ष 2019 में चुने गए छात्र संघ अपना काम रह रहा है। कोरोना संक्रमण का खतरा बेहद बड़ा है। ऐसे में छात्रों की भीड़ जमा करना उचित नहीं होगा। कोरोना संक्रमण के बाद सरकार को छात्र संघ चुनावों की घोषणा करनी चाहिए।

वहीं, शिक्षा राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा, सरकार की प्राथमिकता स्नातक और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा है। छात्र संघ चुनाव को लेकर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल और कॉलेज बंद है पर इसके साथ सरकार की कोशिश पहले पढ़ाई जारी रखने ही है।

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