Nisha Punetha: Pithoragarh: Aipan: उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और पारंपरिक कलाओं के विलुप्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस संकट के बीच कई युवा अपनी कड़ी मेहनत और मजबूत इरादों के साथ इसे संरक्षित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इन युवाओं का उत्साह और समर्पण यह सिद्ध करता है कि उत्तराखंड की लोककला और संस्कृति का भविष्य उज्जवल है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कलाकार हैं पिथौरागढ़ की निशा पुनेठा।
निशा पुनेठा, जो एक बेहतरीन चित्रकार हैं, ने ऐपण कला की पारंपरिक विधा को न केवल संरक्षित किया है, बल्कि उसे एक नया आयाम भी दिया है। ऐपण उत्तराखंड की एक लोक कला है, जिसमें दीवारों और आंगन में रंग-बिरंगे चित्र बनाए जाते हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। निशा ने इस कला को अपनी मेहनत और समर्पण से नए मुकाम तक पहुंचाया है। उनके चित्रों में उत्तराखंडी संस्कृति की गहरी छाप है, और उन्होंने ऐपण को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ जोड़कर इसे पूरी दुनिया में एक नया पहचान दिलवाया है।
निशा के इस अद्वितीय कार्य को न केवल उत्तराखंड में, बल्कि देश-विदेश में भी सराहा गया है। उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा, विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों और संस्थाओं द्वारा भी उन्हें उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। निशा का यह योगदान न केवल उत्तराखंड की लोककला को जीवित रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उत्तराखंडी संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
आज, निशा की कला ने दुनियाभर में पहचान बनाई है, और उनके चित्रों को कला प्रेमियों के बीच अत्यधिक सराहा जा रहा है। उनकी कला ने उत्तराखंड की लोककला को एक नया मंच और पहचान दी है। उनके इस समर्पण और जुनून ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो किसी भी कला को जीवित और प्रासंगिक रखा जा सकता है।
निशा पुनेठा की यह यात्रा न केवल उत्तराखंड की लोककला के लिए, बल्कि समग्र भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। उनका काम यह साबित करता है कि कला, चाहे वह कितनी भी पारंपरिक क्यों न हो, अगर उसे सही दिशा और दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया जाए तो वह कभी पुरानी नहीं पड़ती, बल्कि समय के साथ और भी समृद्ध होती है।