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भीमताल: लोहाखाम ताल पर हजारों श्रद्धालुओं ने किया स्नान, बड़ी रोचक है इस ताल की कहानी 


Bhimtal news: उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो अपनी अलग-अलग संस्कृति और मान्यताओं के लिए मशहूर है। ऐसा ही एक पवित्र कुंड नैनीताल जिले में स्थित है जो अपने साथ पौराणिक और धार्मिक महत्व को भी समेटे हुए है। हम बात कर रहे हैं लोकचूली लोहाखाम ताल की जिसकी पूरे नैनीताल जिले में बहुत मान्यता है। यहां कि मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से अपनी मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है। ( lokchuli lohakham lake )

जागर के साथ मेले का समापन हुआ

ओखलकांडा ब्लॉक के हरीशताल स्थित बैसाखी पूर्णिमा के पर्व में लोकचूली लोहाखाम ताल के पवित्र कुंड पर श्रद्धालुओं द्वारा हजारों की तादात में स्नान किया गया। रात्रि में मेले का उद्घाटन पूर्व विधायक दान सिंह भंडारी और पूर्व दर्जा राज्य मंत्री हरीश पनेरु एवं अध्यक्ष दीवान सिंह मटियाली द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। रात्रि में लोक कलाकारों द्वारा एवं स्थानीय कलाकारों द्वारा द्वारा रंगारंग कार्यक्रम के साथ छबीली, न्यूली, झोड़ा एवं चाचरी छोलिया नृत्य, जागर के साथ मेले का समापन हुआ। ( lokchuli lohakham lake fair )

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गंगा स्नान के बराबर माना जाता है

बता दें कि लोहाखाम ताल को यहां के लोग पवित्र कुंड मानते हैं और इसमें किये गए स्नान को गंगा स्नान के बराबर माना जाता है। ग्रामीणों द्वारा अखंड रामायण का पाठ के साथ ही क्षेत्र में धन-धान्य एवं सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना की गई। पुजारी विपिन चंद्र परगाई द्वारा प्रातः कालीन स्नान के बाद नया अनाज के भोग लगाकर पूजा अर्चना की, साथ ही नया अन्य भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण किया गया। यहां की मान्यता है कि नई फसलों के अनाज का भोग लगाया जाता है। उसके बाद ही नए अनाज का भोजन मुख्य पुजारी ग्रहण करता है। ग्रामीणों द्वारा वॉलीबॉल का भी आयोजन किया गया था। उसमें विजेता ककोड पटरानी टीम रही। मेला में प्रकाश सिंह मटियाली, पूरन रूवली, आन सिंह मटियाली, दास भगवान राम, जगन्नाथ सिंह मटियाली, दीवान राम, हरीश सिंह, तेज़ सिंह गौनिया, दयानंद सनवाल, कमल चौहान, ललित, कमल मेहता, शेर सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे। ( Devotees take bath at lokchuli lohakham lake)

रोचक है इस ताल की कहानी

बुजुर्ग लोग बताते हैं कि लोहाखाम मंदिर में पूजा अर्चना करते समय पानी की कमी हो गयी तो उस समय पुजारी के द्वारा एक लोटा जल सहित मंदिर से इस स्थान में फेंका गया और फिर इस स्थान में कुंड और झील बन गयी तब से ही इस झील का नाम लोहाखाम ताल पड़ गया। ( Story of lohakham lake )

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