रुद्रपुर: जहां एक तरफ पूरी दुनिया, पूरा देश, पूरा राज्य और हरेक शहर कोरोना की मार झेल रहा है। वहीं एक सतुईया गांव ऐसा भी है जहां अभी तक कोरोना का कोई मरीज सामने नहीं आया है (कोविड की दोनों लहरों को मिलाकर)। अब आबो हवा कह लीजिए या गांव की जीवनशैली, मगर कोरोना वायरस अबतक तो गांव से दूर ही रहा है। गांववालो को भी गांव में सुरक्षा महसूस होती है।
उधमसिंहनगर का सतुईया गांव कोरोना की पहली लहर में भी संक्रमण से दूर रहा और अबतक दूसरी लहर में भी सुरक्षित है। गांव में नियमों का पालन भी बेहतर ढंग से होता है। ग्रामीण कहते हैं की शहरों में ढिलाई होती है। सुबह उठकर खेतीबाड़ी, गांव में दूध, घी और ताज़ी सब्जियां खाने में शामिल होने से बीमारी को दूर रखने में आसानी होती है।
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सतुईया गांव सब्जियों के उपज के लिए भी जाना जाता है। इसलिए यहां के ग्रामीणों को सब्जी, अनाज, दूध, दही, पनीर, हल्दी, तेल आदि चीजों के लिए बाजार जाने की जरूरत नहीं होती। इसके अलावा आपको बता दें कि कोरोना काल को शुरुआत से ही ग्राम प्रधान राजेश्वरी ने उत्तर प्रदेश बार्डर से गांव में प्रवेश करने वाली सड़क को बंद कर रखा है ताकि दूसरे राज्य के लोग प्रवेश न कर सकें। जिसके चलते गांव सुरक्षित है।
इस गांव में करीब पांच हजार की आबादी है। कोरोना के चलते ग्रामीणों ने बाजार जाना भी छोड़ दिया है। खेतों में मेहनत कर लोग खेती कर रहे हैं। पसीना बहा रहे हैं। प्रधान पति बृजेश कुमार ने बताया कि लोगों को जागरूक करने का काम भी लगातार किया जाता है। कोविड गाइडलाइन का पालन करने के लिए लोगों को बताते हैं।
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ग्राम प्रधान रोजेश्वरी देवी का कहना है कि जो युवा रोजगार के लिए बाहर जाते हैं उनपर नजर रखी जाती है। कोरोना टेस्ट कराया जाता है। लोगों को जागरूक किया जाता है। उधर, ग्रामीण बृजेश कुमार ने कोरोना से दूर रहने की वजह खेतों में खड़ी मेहनत, पौष्टिक खानपान, संतुलित दिनचर्या और गाइडलाइन की पालना को बताया है।
सतुईया के ग्रामीण प्रिंस कहते हैं कि वे खुद को गांव में ही सुरक्षित पाते हैं। शुद्ध खानपान और आबो हवा से इम्यूनिटी बढ़िया होती है। उधर सुरेंद्र कुमार कहते हैं कि गांव का खाना 90 फीसदी शुद्ध होता है। शहर के लोगों का खान पान तैलीय और जंक फूड, मिलावटी सामान के चलते रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। गांव में लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
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