हल्द्वानी। उत्तराखंड की सेना के एक जाबांज जवान की कहानी को फिल्मी पर्दे में उतारने वाले उत्तराखंड के प्रोड्यूसर लकी बिष्ट ने उत्तराखंड के युवाओं के लिए एक ऐसी फिल्म बनाने जा रहे हैं जिसे देखकर युवा उत्तराखंड के एक और वीर के बारे में जानेंगे। वैसे तो अापने उत्तराखंड के कई वीर के बारे में सुना होगा। लेकिन गबर एक ऐसे गुमनाम वीर रह गए जिनकी कहानी शायद ही कोई युवा जानता हो। लकी बिष्ट पहाड़ के युवाओं को गबर की वीर गाथा से रुबरु कराएंगे। एक प्रेस वार्ता के दौरान लकी कहते हैं कि वह पहाड़ की प्रतिभा को आगे लाएंगे। कहते हैं कि पहाड़ के युवाओं में टैलेंट की कोई कमी नहीं है बस उसे सही मंच नहीं मिलता।
ये कहानी है प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस के नेव चापेल में हिटलर की सेना से हुए युद्ध में अदम्य साहस दिखाने वाले गढवाल राइफल्स के जवान गबर सिहं नेगी की। लकी कमांडो ने इस फिल्म को प्रड्युश करके गबर सिहं नेगी का शौर्य़ 105 साल बाद फिल्मी पर्दे में उतारा है।
फिल्म के रिलीज से पहले 51 लाख की राशि गबर के परिवार को देंगे
गबर सिंह नेगी का जन्म 21 अप्रैल 1895 को उत्तराखंड में टिहरी जिले के चंबा के पास मज्यूड़ गांव में हुआ था। वह अक्तूबर 1913 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए। कुछ समय बाद ही विश्वयुद्ध के लिए उनकी बटालियन को फ्रांस भेजा गया, जहां 10 मार्च 1915 को वह शहीद हुए। गबर को वीसी देने के अलावा फ्रांस में स्थापित सैन्य स्मारक में जगह दी गई है। निर्माता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि फिल्म के रिलीज होने से पहले 51 लाख की राशि गबर के परिवार वालों को दी जाएगी।
तत्कालीन ब्रिटिश सेना का हिस्सा रही 39वीं गढ़वाल राइफल्स के महज 19 वर्षीय इस राइफलमैन ने इस युद्ध में वीरगति प्राप्त की थी। ब्रिटिश हुकूमत ने मरणोपरांत तत्कालीन सर्वोच्च सैन्य सम्मान विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) से नवाजा था। विदेशी धरती पर जमीनी लड़ाई का नायक यह योद्धा अब तक दुनिया की नजरों से ओझल रहा, लेकिन अब हल्द्वानी का लकी कमांडो प्रोडक्शन हाउस गबर पर फिल्म बनाने जा रहा है।