हल्द्वानी: सीमांत जिले को जाते रास्ते में आपको जल्द ही नया निर्माण देखने को मिलेगा। कुल मिलाकर पहला तो मार्ग सुंदर दिखेंगे और दूसरा जाम की समस्या से भी राहत मिलेगी। सबसे खास यह है कि आपदा के समय भी यह निर्माण फायदेमंद होगा। दरअसल आने वाले 3 सालों में पिथौरागढ़ की तरफ जाते हुए सभी नदी नालों पर आरसीसी पुल बनते नजर आएंगे।
आपको बता दें कि धारचूला से तवाघाट, गर्बाधार, लिपुलेख मार्ग पर अगले 3 सालों में दस चौड़े आरसीसी पुल बनेंगे। जिसमें से तीन आरसीसी पुल तो बनकर तैयार भी हो चुके हैं। बाकी बचे सात में से एक पुल की निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जानकारी के अनुसार 3 साल के अंदर सभी पुल बन जाने से सीमांत इलाके को आपदा के दौरान भी आवागमन के लिए बड़ी राहत मिलेगी।
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जानकारी के मुताबिक धारचूला से चीन सीमा लिपुलेख तक तकरीबन 110 किलोमीटर सड़क का कायाकल्प होगा। आपको बता दें कि यह सड़क भी ऑल वेदर रोड की तरह होगी जो कभी बंद नहीं होगी। इसके अलावा धारचूला से मांगती तक बीआरओ सड़क चौड़ीकरण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। मांगती से लिपुलेख तक कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। इस समय मार्ग पर बर्फ पड़े होने से बूंदी से 46 की चढ़ाई पर मोड़ सुधारी का कार्य जारी है।
बता दें कि नजंग, मालपा, तवाघाट, बूंदी, गुंजी, काला पानी में पुल बनाए जाने हैं। अगर यह आरसीसी पुल बनते हैं तो लिपुलेख मार्ग में वाहनों की आवाजाही काफी बेहतर हो जाएगी। साथ ही इसके बाद दोनों तरफ से एक साथ वाहन चल सकेंगे। जिसके कारण जाम की समस्या भी बहुत हद तक कम हो जाएगी।
बीआरओ के ओसी आनंद प्रियदर्शी का कहना है कि सभी आरसीसी पुल 3 साल के अंदर बन जाएंगे। इसके अलावा बीआरओ ने इस साल के अंत तक मांगती, गर्बाधार तक सड़क को हाईवे की तरह विकसित करने तथा 2022 तक लिपुलेख तक सड़क के डामरीकरण का दावा किया है। रास्ते पर बने लोहे के गार्डर बैली ब्रिज को आरसीसी ब्रिज में तब्दील किया जाएगा। उसकी प्रक्रिया चल रही है। साथ ही बीआरओ ने धारचूला से गरबा धार के बीच अलग 82 बाट में आरसीसी पुल बना लिए हैं। तीसरा तीन तोला के पास बन रहा है।
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