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उत्तराखंड के आखिरी Most Wanted माओवादी भास्कर पांडे से पुलिस को मिले अहम सुराग

उत्तराखंड के आखिरी Most Wanted माओवादी भास्कर पांडे से पुलिस को मिले अहम सुराग

अल्मोड़ा: बीते दिनों प्रदेश पुलिस को बहुत ही बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने आखिरकार उत्तराखंड के आखिरी मोस्ट वांटेड माओवादी भास्कर पांडे को गिरफ्तार कर लिया है। भास्कर पांडे की गिरफ्तारी माओवाद को जड़ से खत्म करने के लिए काफी अहम मानी जा रही है। पुलिस को अबतक भास्कर पांडे से कुछ अहम सुराग मिल भी गए हैं।

दरअसल 13 सितंबर को माओवादी भास्कर पांडे पेटशाल से पकड़ा गया था। 20 हज़ार के इनामी माओवादी की गिरफ्तारी को अल्मोड़ा पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया। गौरतलब है कि भास्कर पांडे 2017 से फरार चल रहा था। अब उसकी गिरफ्तारी के साथ ही माओवाद से जुड़े कई सुराग भी पुलिस को मिलने की उम्मीद है।

भास्कर पांडे की गिरफ्तारी से लेकर अबतक पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां उसके पास से बरामद हुए सामान की जांच में जुटी हुई है। जांच में भास्कर के पास से बरामद पेन ड्राइव से माओवाद से जुड़े कई अहम सबूत सामने आए हैं। इस पेन ड्राइव में शस्त्र प्रशिक्षण और छापामारी युद्ध का डाटा भी इस पेन ड्राइव में उपलब्ध है फिलहाल उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।

जांच अधिकारी रानीखेत सीओ तपेश कुमार ने बताया कि भास्कर पांडे के पास से मिली पेन ड्राइव की जांच में अल्मोड़ा के सोमेश्वर, द्वाराहाट और नैनीताल के धारी में अंजाम दी गई माओवादी गतिविधियों का डाटा मिला है। ये भी पता चला है कि इन जगहों पर हुई घटनाओं को माओवादियों ने ही अंजाम दिया था। उन्होंने कहा कि जांच में और भी सुराग मिलने की आशंका है।

माओवादी भाष्कर पांडे ने भी खुलासा करते हुए बताया कि वह माओवादी खीम सिंह बोरा की गिरफ्तारी के बाद से उत्तराखंड में एरिया कमांडर का जिम्मा संभाले था और प्रदेश में माओवाद की जड़ें जमाने की कोशिशो में जुटा हुआ था। मगर उत्तराखंड के सभी प्रमुख माओवादियों को पकड़ने के लिए सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने काम किया। जिससे सफलता मिल सकी है।

आखिर कौन है भास्कर पांडे

उत्तराखंड के माओवादियों की लिस्ट में शुमार भास्कर पांडे कई सालों से पुलिस से बचकर भाग रहा है। भास्कर पांडे साल 2006 में माओवादी संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी से जुड़ा। बता दें कि संगठन में उत्तराखंड के जोनल कमेटी का सचिव खीम सिंह बोरा था। भास्कर पांडे के अलावा सबसे अधिक सक्रिय देवेंद्र चम्याल और भगवती भोज भी थे।

इस संगठन में मिलकर भास्कर पांडे को प्रदेश में हर तरफ जन आंदोलन करने के साथ साथ उत्तराखंड में चुनावों को प्रभावित करने की प्लान जिम्मेदारी मिली थी। चारों का काम यही होता था कि वे पहले एकांत जंगल में कार्ययोजना तैयार करेंगे, फिर लक्ष्य बनाकर संबंधित स्थान पर पोस्टर व पैम्पेलट चिपकाने के बाद काम को अंजाम देंगे।

साल 2017 में तो सोमेश्वर और द्वाराहाट में अपने कारनामों को अंजाम देने में ये भी सफल रहे मगर इसके तुरंत बाद ही एरिया कमांडर की गिरफ्तारी होने से इके कदम रुक गए। बाद में टीम की पूरी जिम्मेदारी भी भाष्कर पांडे के कंधों पर आ गई थी। अब चूंकि उत्तराखंड में टॉप माओवादियों पर शिकंजा कसा जा रहा था। इसलिए संगठन की कमर टूटनी शुरू हो गई थी।

बता दें कि दिसंबर 2007 में भी संगठन लगभग बिखर चुका था। हुआ ये कि इस साल 22 दिसंबर को नानकमत्ता में पुलिस व खुफिया एजेंसी के ऑपरेशन हंसपुर खत्ता को बड़ी सफलता मिसी। इस कामयाबी के बाद कई शीर्ष नेता गिरफ्तार हो चुके थे, जबकि कई भूमिगत हो गए थे। इसके बाद से संगठन को मजबूती देने के लिए मध्य व पिछली पंक्ति के सिपहसलारों को सक्रिय किया जाने लगा।

इसके लिए प्लानिंग भी पूरी की गई। जंगलों में डेरा डाला गया मगर बीते सालों में माओवादी गतिविधियों के साथ ही सुरक्षा एजेंसियों भी खासा सक्रिय रहीं। जिसका फायदा ये हुआ कि एजेंसियों की रिपोर्ट से गृह मंत्रालय भी हरकत में आ गया। इसके बाद ही एक-एक कर उत्तराखंड के सभी प्रमुख माओवादियों को पकड़ने में सफलता मिल सकी। अब इसी कड़ी में उत्तराखंड के आखिरी मोस्ट वांटेड माओवादी भास्कर पांडे को पकड़ा गया है। माना जा रहा है कि उससे काफी सुराग पुलिस को मिलेंगे।

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