देहरादून: शिकायतें कभी कभी देर से ही सही मगर सुनी जरूर जाती हैं। उत्तराखंड रोडवेज ने एक व्यक्ति को वक्त पर स्टाप पर नहीं पहुंचाया। जिस वजह से उसकी कंपनी की बस छूट गई। ड्यूटी पर लेट पहुंचे युवक का एक दिन का वेतन कंपनी ने काट लिया। मगर अब उत्तराखंड परिवहन निगम को उक्त व्यक्ति को 15 हजार से भी अधिक रुपए का भुगतान करना होगा।
दरअसल ग्राम रतनपुर पोस्ट नया गांव शिमला बाईपास रोड के मूल निवासी यशवंत सिंह पुत्र बलवंत सिंह हाल ही में हरि आश्रम कॉलोनी ग्राम बावली कलंजरी नियर पतंजलि योग पीठ हरिद्वार में रहते हैं। उन्होंने 2018 में उत्तराखंड रोडवेज द्वारा की गई लापरवाही के लिए परिवहन निगम के महाप्रबंधक और परिवहन निगम हरिद्वार डिपो के सहायक प्रबंधक के खिलाफ आयोग में शिकायत की थी।
परिवादी अधिवक्ता नरेंद्र कुमार बताते हैं कि यशवंत सिंह 20 सितंबर 2018 को आईएसबीटी देहरादून से हरिद्वार जाने वाली उत्तराखंड रोडवेज की बस में बैठे। 12 बजे यहां से निकलते वक्त उन्होंने नेपाली फार्म तिराहा तक के लिए 76 रुपये का बस टिकट भी ले लिया। साथ में कंडक्टर से कन्फर्म किया कि ये बस 1:40 बजे तक नेपाली फार्म तिराहा तक पहुंच जाएगी।
बता दें कि यशवंत सिंह को इसके बाद निर्धारित समय पर कंपनी की गाड़ी पकड़नी थी। खैर परिचालक ने कहा कि समय से पहले ही बस पहुंच जाएगी। लेकिन बस समय पर नहीं पहुंची। इस वजह से यशवंत सिंह की कंपनी वाली गाड़ी छूट गई। फिर उन्हें नेपाली फार्म से मजबूरी में उसी बस से 24 रुपये और बस किराया देते हुए हरिद्वार जाना पड़ा।
इसके बाद 150 रुपये में ऑटो बुक किया, तब कहीं जाकर वह कंपनी पहुंचे। मगर कंपनी ने देरी की वजह से एक दिन का वेतन काट लिया। जिससे यशवंत सिंह को पूरे दिन में करीब2426 रुपये का नुकसान हुआ। जिसके बाद वह अपनी शिकायत लेकर उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पहुंचे। हां पर यात्री ने शिकायत दर्ज कराई।
गौरतलब है कि परेशान यात्री ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में इस मामले की शिकायत की थी। आयोग द्वारा सभी दलीलें सुनने के बाद परिवहन निगम पर 15,426 रुपये का हर्जाना लगाते हुए एक माह के भीतर यात्री को ये पैसे देने का आदेश जारी किया है।
आयोग के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल और सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने यात्री को 2426 रुपये वापिस करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति दस हजार रुपये और तीन हजार रुपये वाद व्यय का भी भुगतान करने को कहा है। बता दें कि 30 दिन के अंदर भुगतान ना होने की सूरत में नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के आधार पर यात्री को पैसे देने होंगे।