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घाटे के बावजूद पिछले आठ महीने में छह बार बदले गए हैं उत्तराखंड रोडवेज के MD

घाटे के बावजूद पिछले आठ महीने में छह बार बदले गए हैं उत्तराखंड रोडवेज के MD

देहरादून: रोडवेज पांच सौ करोड़ से भी ऊपर के घाटे में चल रहा है। मगर इसके बावजूद भी रोडवेज के एमडी हर दो महीने में बदले जा रहे हैं। हालत ये है कि बीते करीब पौने तीन साल में सरकार ने सात बार रोडवेज के प्रबंध निदेशक (Managing director) बदले हैं। जिनमें से छह एमडी तो आठ माह के भीतर ही बदले गए हैं। अब सरकार ने मंगलवार को आइएएस रंजना राजगुरू (IAS Ranjana Rajguru) के जिम्मे रोडवेज की कमान सौंप दी।

बता दें कि फिलहाल वक्त में रोडवेज करोड़ों के घाटे में है। ये घाटा कोरोना की सबसे पहली लहर के समय से ही चला आ रहा है। उल्लेखनीय है कि किसी विभाग की कार्यप्रणाली (Work ethics) समझने में ही अधिकारियों को महीने-दो महीने लग जाते हैं। ऐसे में इतनी जल्दी एमडी का बदलना भी रोडवेज को नुकसान पहुंचा रहा है।

वर्तमान की बात करें तो अभिषेक रुहेला पौने दो महीने से एमडी के पद पर तैनात थे। मगर अब सरकार ने उन्हें हटा दिया है। इससे पहले भी रुहेला के साथ ऐसा हो चुका है। उन्हें 19 जून को रोडवेज (Uttarakhand Roadways) का प्रबंध निदेशक बनाया गया था, लेकिन तब भी महज एक माह में 19 जुलाई को उन्हें हटा दिया था। रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले आठ महीनों में दो माह से अधिक किसी अधिकारी के पास एमडी की कुर्सी नहीं रही।

कौन-कब तक रहा एमडी

18 फरवरी 2019 – 04 जुलाई 2019 : आइएएस डा. आर राजेश कुमार

जुलाई 2019 – 06 अप्रैल 2021 : आइएएस रणवीर सिंह चौहान

अप्रैल 2021 – 18 जून 2021 : आइएएस आशीष चौहान

19 जून 2021 – 19 जुलाई 2021 : आइएएस अभिषेक रुहेला

19 जुलाई 2021 – 03 नवंबर 2021 : आइएएस डॉ. नीरज खैरवाल

नवंबर 2021 – 28 दिसंबर 2021 : आइएएस अभिषेक रुहेला

मौजूदा दिनों में रोडवेज का संचालन भी सरकार के लिए टेढ़ी खीर बनता जा रहा है। मुखिया बदलने के इस सिलसिले से अभी तक तो रोडवेज को किसी तरह का फायदा होता नहीं दिखा है। कर्मचारी संगठनों (Workers union) द्वारा भी बार-बार इस प्रथा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उनका मानना भी यही है कि एक अधिकारी को कम से कम दो साल तक मौका दिया जाना चाहिए।

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन (Uttaranchal Roadways workers union) के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने सरकार से सवाल किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने रोडवेज के प्रबंध निदेशक की कुर्सी को प्रयोगशाला बना रखा है। ऐसा पहली बार हुआ कि आठ महीने में ही छह प्रबंध निदेशक बदल दिए गए। इन बदलावों से रोडवेज को लगातार नुकसान हो रहा है।

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