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देहरादून के रेड जोन में जाने का खतरा बढ़ा, कुल आंकड़ों ने नैनीताल को पीछे छोड़ा


उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पर रेड ज़ोन के अंदर शामिल होने का खतरा मंडरा रहा है। देहरादून जिलों के मामलों ने नैनीताल को भी पीछे छोड़ दिया है।  देहरादून 339 मामले सामने आ चुके है बल्कि नैनीताल में 310 मामले हैं। नैनीताल जिला राज्य का एकलौता ऐसा जिला हैं जो रेड जोन के अंदर हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो देहरादून जल्द रेड जोन घोषित किया जा सकता है।

कुल एक्टिव केस और डबलिंग रेट के आधार पर ज़ोन की श्रेणी निर्धारित की जाती है। देहरादून में जिस गति से केस बढ़े हैं, उसे देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि राजधानी भी नैनीताल के साथ रेड ज़ोन की लिस्ट में शामिल हो सकती है।

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मानकों के अनुसार, किसी भी जिले में यदि 200 से ज्यादा संक्रमित हैं तो वह रेड जोन में जा सकता है। दून में मरीजों के डबल होने की दर भी रेड जोन के मानक से अधिक है। जिले में प्रति लाख की आबादी पर एक्टिव केस 15 के करीब पहुंच गए हैं।

एक्टिव केस 15 से अधिक होने पर भी जिला रेड जोन में जाता है। हालांकि मृत्युदर, सैंपलिंग और सैंपल पॉजिटिव आने के मामले में जिला रेड जोन के मानकों से पीछे है।

अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया ने बताया, छह मानकों के परीक्षण पर जिले की श्रेणी तय होती है। छह में से तीन मानक रेड जोन में होने पर जिला रेड जोन में शामिल कर लिया जाता है। रविवार को नए सिरे से जिलों की जोन निर्धारित किए जाएंगे।  

रेड जोन बना तो लागू होंगे ये प्रतिबंध 

  • बाजार खुलने का समय सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक। 
  • आवश्यक सेवा को छोड़कर सभी कार्यालय शाम चार बजे तक खुलेंगे। 
  • सभी कार्यालयों में क और ख श्रेणी के कार्मिक शत-प्रतिशत और शेष कर्मी 33 फीसद संख्या में उपस्थित रहेंगे। 
  • रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे से यात्रियों को लाने-ले जाने के अलावा सभी सार्वजनिक परिवहन पर प्रतिबंध। 
  • जनपद से बाहर जाने या अंदर आने के लिए ई-पास या सक्षम प्राधिकारी से ऑफलाइन पास बनवाना होगा जरूरी।

उत्तराखंड में ठीक होने वालों की संख्या जिला वाइस-309

अल्मोड़ा 22, बागेश्वर 10, चंपावत 7, देहरादून 55, हरिद्नार 17, नैनीताल 128, पौड़ी गढ़वाल 9, पिथौरागढ़ 1, रुद्रप्रयाग 2, टिहरी 5, ऊधमसिंह नगर 46 और उत्तरकाशी 7। प्रदेश में चमोली एकमात्र जिला है जहां कोई भी मरीज ठीक नहीं हुआ है।

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