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कैबिनेट मंत्री को हाईकोर्ट का नोटिस, सरकार से पूछा कार्यवाही क्यों नहीं हुई


कुछ दिन पहले मंत्री सतपाल महाराज व उनकी पत्नी समेत उनके परिवार के पांच सदस्य, उनके गनर, चालक, माली सहित आवास पर काम करने वाले 17 कर्मचारी भी कोरोना संक्रमित मिले थे। संक्रमित पाए जाने से पहले महाराज कैबिनेट की बैठक में भी गए थे। बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत सभी कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह और शासन के अन्य उच्च अधिकारी मौजूद थे। इसके बाद राज्य सरकार को सैकड़ों सवालों का सामना करना पड़ा। लॉकडाउन का नियम तोड़ने वालों के खिलाफ केस दर्ज हो रहा है तो कैबिनेट मंत्री के खिलाफ कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाया गया।

मामला कोर्ट पहुंचा तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार और कैबिनेट मंत्री को नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने पूछा सरकार द्वारा आम लोगों के खिलाफ लॉक डाउन के नियमों के उल्लंघन पर हो रहे मुकदमे दर्ज तो संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई ?

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हाईकोर्ट ने प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के कोरोना वायरस से बचने के लिए जारी केंद्र सरकार के गाइड लाइनों का उल्लंघन करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि जब आम लोगों पर क्वारंटाइन के नियमों का उल्लंघन पर मुकदमें दर्ज हो रहे हैं तो संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को किस वजह से छूट दी जा रही है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार के साथ ही कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

बता दें कि कैबिनेट मंत्री के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद हलचल मच गई थी। उन्होंने बैठक में भी शिरकत की थी और इसके बाद एहतियात बरतते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, सुबोध उनियाल और हरक सिंह रावत ने सेल्फ क्वारंटाइन में जाने का निर्णय लिया है। हालांकि गुरुवार देर रात को आई सीएम की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव मिली है।

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