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गेंदबाजी में वाहवाही लूटने के बाद देवभूमि पहुंची उत्तराखण्ड एक्सप्रेस, दिया बड़ा बयान…


बागेश्वर: राज्य की प्रतिभा को उच्च स्थान दिलाने वाले युवा गेंदबाज कमलेश नगरकोटी को आज पूरा क्रिकेट जगत जानता है। अंडर-19 विश्वकप में अपनी रफ्तार से विरोधी बल्लेबाजी को डराने वाला देवभूमि का बेटा अपने गांव बागेश्वर पहुंचा। वहां पहुंचकर उन्होंने उत्तराखण्ड क्रिकेट के बढ़ते कद के बारे में पत्रकारों ने बात की।  उन्होंने साफ किया कि प्रतिभा किसी सरकारी सुविधा की मोहताज नहीं है।  उन्होंने राज्य क्रिकेट को मान्यता के प्रश्न पर रहा कि ये एक मील का पत्थर है जिसे प्रतिभा ने पार कर लिया है। अगर राज्य क्रिकेट को एक अच्छी राह देनी है तो  क्रिकेट एसोसिएशनों में राजनितिज्ञों का हस्तक्षेप नही होना चाहिए। क्रिकेट की समझ रखने वाले लोग ही आने चाहिए।

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पर्यटन आवास गृह में पत्रकार वार्ता में अंडर 19 व‌र्ल्ड कप के स्टार ऑलराउंडर कमलेश नगरकोटी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य को अगर रणजी क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए मान्यता मिलती है तो युवाओं के लिए बड़े स्तर पर पहुंचने के काफी रास्ते खुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि मान्यता ना होने से परेशानी होती है, चुनौती दोगुनी हो जाती है क्योंकि खिलाड़ी को दूसरे स्टेट से खेलना होता है जो बिल्कुल भी आसान नहीं है।

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उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के खिलाड़ी क्रिकेट के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर रहे है लेकिन फिर भी यहां खेल के संसाधनों की कमी है। उन्होंने कहा कि बागेश्वर में तो एक खेल मैदान भी नहीं है। जो दुर्भाग्यपूर्ण है। पहाड़ से कम संसाधनों के बाद भी महेंद्र सिंह धोनी, मनीष पांडे, उन्मुक्त चंद, आर्यन जुयाल और पवन नेगी जैसे खिलाड़ी यहां से निकले हैं। जो राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे है।

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बता दें कि कमलेश की विश्वकप में शानदार गेंदबाजी के बाद आईपीएल के लिए केकेआर ने 3.2 करोड़ में खरीदा था लेकिन दुर्भाग्य से वो चोटिल हो गए और सीजन से उन्हें बाहर होना पड़ा। कमलेश ने अंडर-19 विश्वकप में कुल 9 विकेट अपने नाम किए थे। कमलेश उन खिलाड़ियों के सूची में शामिल थे जिन्होंने टीम को विश्व खिताब पर कब्जा जमानें में अहम भूमिका अदा की थी। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में लगातार 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की जिसके बाद उन्हें उत्तराखण्ड एक्सप्रेस का नाम दे दिया गया। कमलेश ने युवाओं को संदेश देते हुए साफ किया कि लक्ष्य प्राप्ति ने के लिए कठोर परिश्रम की जरूरत होती है। सरकारी सुविधाओं के भरोसे बैठकर भी सपना साकार नहीं हो सकता है। इसके लिए कड़ी मेहनत व लक्ष्य प्राप्ति के लिए किए गए प्रयास बहुत आवश्यक हैं। उन्होंने युवाओं के लिए कहा कि वह सपना देखें और कोशिश करें। इसके लिए चाहे घर से बाहर हीं क्यों न निकलना पड़े। उन्होंने कहा कि क्रिकेटर भुवनेश्वर कुमार उनके सबसे बेस्ट खिलाड़ी व आदर्श है। उनसे काफी कुछ सीखने को मिल रहा है।

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