राजौरी में माइन ब्लास्ट में शहीद हुए उत्तराखंड के सपूतों, सुरजीत राणा व लांस नायक सूरज सिंह की शहादत को कोटि कोटि नमन करता हूं। ईश्वर से शहीदों की आत्मा की शांति व परिजनों को संबल प्रदान करने की कामना करता हूं। हमारी सरकार द्वारा शहीदों के परिवार को हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी।
— त्रिवेंद्र सिंह रावत (@tsrawatbjp) December 2, 2018
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स्यूंण गांव निवासी सुरजीत सिंह वर्ष 2008 में सेना में शामिल हुए थे। वह इन दिनों जम्मू की अखनूर तहसील के पलावाला सेक्टर में तैनात थे। शनिवार को हुए अभ्यास सत्र के दौरान एक धमाके में वह शहीद हो गए। उनके पिता प्रेम सिंह की मौत दो दशक पूर्व हो गई थी, जबकि एक साल पहले ही उनकी पत्नी का निधन हुआ था। शहीद की दो शादीशुदा बहनें भी हैं। घर में मां विशेश्वरी देवी और बड़ा भाई महावीर राणा रहते हैं। इस घटना की सूचना के बाद से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मां विशेश्वरी देवी बेटे की मौत की सूचना के बाद से बदहवास पड़ी हैं। महावीर गांव में ही मेहनत मजदूरी करता है। महावीर ने बताया कि घर की पूरी जिम्मेदारी सुरजीत के कंधे पर ही थी और वह कुछ समय पहले ही छुट्टी लेकर गांव आया था।
दूसरी ओर आठ कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात पालड़ी गांव के सूरज सिंह भाकुनी शनिवार शाम एक धमाके में जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में शहीद हो गए। सूरज सिंह की शहादत की खबर के सामने आने के बाद आसपास के क्षेत्र में मातम छा गया। सूरज नवंबर में एक माह की छुट्टी पर घर आए थे और एक हफ्ते पहले ही 25 नवंबर को डयूटी पर लौटे थे। वह सूरज पांच भाई बहनों में तीसरे नंबर के और अविवाहित थे। भनोली तहसील के पालड़ी गांव के रहने वाले सुरज ने बचपन से ही सेना में जाने का मन बना लिया था। उनका जन्म सात जुलाई 1995 को हुआ था।
नारायण सिंह भाकुनी और सीता देवी के बेटे सुरज ने इंटरमीडिएट तक की परीक्षा गांव में करने के बाद बीए की पढ़ाई के लिए अल्मोड़ा आ गए थे। एसएसजे परिसर में बीए की पढ़ाई के दौरान ही वर्ष 2014 में उनका आर्मी में चयन हो गया। रानीखेत में ट्रेनिंग लेने के बाद सूरज की पहली ज्वॉइनिंग जम्मू के उड़ी सेक्टर में हुई। फिर बटालियन तीन साल लखनऊ में रही। इधर, एक साल पहले ही बटालियन जम्मू आ गई थी। सूरज इस साल एक-एक माह की छुट्टी लेकर दो बार घर आ चुके थे। इस बीच एक माह की छुट्टी काटकर वह 25 नवंबर को बटालियन लौटे थे। वहां जाने के बाद ही वह शहीद हो गए।प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार सूरज का पार्थिव शरीर सोमवार को यहां लाया जाएगा। उसके बाद राजकीय सम्मान और सैन्य सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी जाएगी।