देहरादूनः राज्य के बदमाश इतने ज्यादा शातिर हो गए हैं कि वो किसी भी वारदात को अंजाम देने में जरा भी नही कतराते। लेकिन राज्य पुलिस भी इन शातिर बदमाशों को पकड़ने के लिए आए दिन अभियान चलाती है। एक बार दून पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली है। ऋषिकेश में लूट की नाकाम कोशिश के बाद दून में वारदात को अंजाम देने के इरादे से यहां पहुंचा बदमाशों का गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं उनके तीन अन्य साथियों की तलाश में छापेमारी की जा रही है।
बता दें कि शुक्रवार को डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया, कोतवाल ऋषिकेश रितेश शाह को सूचना मिली थी कि सहारनपुर से कुछ लोग ऋषिकेश के एक सर्राफ के यहां डकैती को अंजाम देने आए हैं। इसपर दून में भी पुलिस को अलर्ट कर दिया गया। एसपी सिटी श्वेता चौबे और एसपी ग्रामीण परमिंदर डोबाल के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी गई। जिसमें क्षेत्रधिकारी डालनवाला और नेहरू कालोनी थाना के प्रभारी शामिल भी थे। इस टीम ने कार और मोटरसाइकिल सवार बदमाशों को गुरुवार रात रेसकोर्स क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए बदमाशों की पहचान फरमान निवासी पथरी हरिद्वार, संजय कुमार निवासी सहारनपुर, रवि कुमार निवासी सहारनपुर और अनुज उर्फ शिवम निवासी मुजफ्फरनगर के रूप में हुई।
वहीं, पूरन आहूजा (टिहरी विस्थापित) हाल निवासी हरिद्वार, देवेंद्र निवासी देहरादून और पंडित फरार हैं। संजय इस गिरोह का सरगना है। बदमाशों के पास एक पिस्तौल, एक तमंचा, दो मैगजीन, 11 कारतूस, दो खुखरी, 27 सौ रुपये, एक मोबाइल और फर्जी प्लेट लगी मोटरसाइकिल व कार (यूके-08-एमएम-4574) बरामद हुई। गिरोह के सरगना संजय कुमार ने बताया कि वो ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाते थे, जिनके पास काफी नकदी होती है। गिरोह का एक सदस्य उस व्यक्ति के पास किसी कंपनी का प्रतिनिधि बनकर जाता था। जो उन्हें बताता था कि कंपनी का एक डेड अकाउंट है, जिसमें करोड़ों की धनराशि जमा है। इस धनराशि को वह खुद नहीं निकाल सकते, लेकिन किसी के अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं। पीड़ितों को लालच दिया जाता था कि वह जितनी धनराशि नकद में देंगे, उसकी दोगुनी धनराशि उसके खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
डीआइजी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि गिरोह से तीन करोड़ रुपये लेने के लिए तैयार हुए गढ़वाल ज्वेलर्स के मालिक से भी पूछताछ की जाएगी। आखिर वह इतनी बड़ी रकम घर में क्यों रखे था। डीआइजी ने बताया कि 31 दिसंबर को यह गिरोह पूरन की कार से सहारनपुर से ऋषिकेश पहुंचा। वहां पंडित ने उनकी मुलाकात झंडा चौक पर श्री भरत मंदिर के पास स्थित गढ़वाल ज्वेलर्स के मालिक से कराई। सर्राफ से मिलने के लिए संजय और देवेंद्र ही पहुंचे। बाकी सदस्य चाय की एक दुकान पर रुककर उनके फोन का इंतजार करने लगे। सर्राफ से उन्होंने तीन करोड़ रुपये खाते में ट्रांसफर करने की बात कहकर डेढ़ करोड़ रुपये मौके पर देने को कहा। जैसे ही सर्राफ ने डेढ़ करोड़ रुपये दिखाए, संजय ने अपने साथियों को फोन करके बुला लिया। लेकिन, उस समय क्षेत्र में पुलिस गश्त कर रही थी।
इस कारण वह वारदात को अंजाम नहीं दे सके। इसके बाद सभी बदमाश सर्राफ के यहां से चले गए। एक जनवरी को यह गिरोह देहरादून आ गया। यहां पंडित ने भटनागर नाम के व्यक्ति के माध्यम से एक शराब कारोबारी को फंसाया। उससे ढाई करोड़ रुपये लूटे जाने की योजना थी। डील तय हो चुकी थी। लेकिन, घटना को अंजाम देने से पहले ही पुलिस ने आरोपितों को दबोच लिया।