देहरादून: राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने पर सरकार हमेशा से जोर देती रही है। बाहर से पहुंचने वाले सैलानियों के साथ उत्तराखंड का रिश्ता गहरा हो इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार की ओर से राज्य में नए पर्यटक स्थल विकसित करने के प्लान पर काम किया जा रहा है। अनलॉक व्यवस्था के लागू होने के बाद इन कामों में तेजी देखने को मिल रही है। राज्य सरकार ने जानकीचट्टी से यमुनोत्री को रोपवे से जोड़ने के प्लान पर आगे बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है। राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट को पीपीपी मोड पर खुद आगे बढ़ाएगी। सरकार के इस फैसले से जानकीचट्टी (खरसाली) से यमुनोत्री तक रोपवे निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। साल 2012 से अटके इस रोपवे के निर्माण को लेकर शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में अहम फैसला लिया गया।
पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार ने प्रसिद्ध शक्तिपीठों और पर्यटक स्थलों को रोपवे से जोड़ने का प्लान बना रही है। इससे यह स्थान काफी लोकप्रिय होंगे। बता दें कि जानकीचट्टी को रोपवे के जरिए यमुनोत्री से जोड़ने की योजना भी शामिल थी, लेकिन योजना को रफ्तार नहीं मिली। साल 2012 में रोपवे का काम मैसर्स टॉप वर्थ इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। प्रोजेक्ट निर्माण के लिए यमुनोत्री रोपवे प्रोजेक्ट कंपनी नाम से एक स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) का गठन भी किया गया, लेकिन फिर ये योजना धरातल में नहीं उतर पाई। कंपनी द्वारा वित्तीय दस्तावेज ना दिखाए जाने के वजह से 26 अप्रैल 2016 को यह करार निरस्त कर दिया गया।
इसके बाद से इस प्रोजेक्ट को लेकर विवाद चल रहा था। शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में विवाद को खत्म कर अहम फैसला लिया गया। कैबिनेट ने फैसला लिया कि कंपनी की जब्त की गई बैंक गारंटी और भूमि खरीद का पैसा वापस लौटाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कैबिनेट के फैसले के बाद 3.50 करोड़ की जब्त की गई बैक गारंटी और प्रोजेक्ट के लिए खरीदी गई 1.56 करोड़ की जमीन का पैसा कंपनी को वापस लौटाया जाएगा। अब इस प्रोजेक्ट का काम राज्य सरकार पीपीपी मोड पर कराएगी जो पर्यटन विभाग द्वारा संचालित किया जाएगा। कैबिनेट के अहम फैसले के बाद रोपवे परियोजना को लेकर एक बार उम्मीदे जग गई है और उम्मीद की जा रही है कि यह कार्य जल्द धरातल में उतारा जाएगा।