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उत्तराखंड के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा देवभूमि का इतिहास, लोकसंस्कृति का भी मिलेगा ज्ञान

देहरादून: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश को प्रदेश में लागू किया जायेगा। इसके लिये निदेशक एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान) को निर्देश दे दिये गये हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के तहत प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में ‘हमारी विरासत’ नामक पुस्तक शामिल की जायेगी, जिसे पहले चरण में कक्षा-06 से कक्षा-08 तक लागू किया जायेगा। पुस्तक के संकलन की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान को दे दी गई है। इसके लिये निदेशक एससीईआरटी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी है।

सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने राजस्थान प्रवास के दौरान मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि एनसीईआरटी की समिति की सिफारिश को प्रदेश की स्कूली किताबों में लागू किया जायेगा। जिसके निर्देश राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक को दे दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी समिति ने किताबों में ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ लिखे जाने की सिफारिश की है। इसके अलावा समिति ने सभी पाठ्यक्रमों में भारती ज्ञान प्रणाली शुरू करने की भी सिफारिश की है। डॉ. रावत ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले ही प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के तहत भारतीय ज्ञान परम्परा को शामिल करने का निर्णय लिया है। जिसके क्रम में प्रदेश में संचालित पाठ्यपुस्तकों के साथ ‘हमारी विरासत’ नामक पुस्तक को शामिल किया जायेगा। इस पुस्तक संकलन की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान को दे दी गई है। इसके लिये निदेशक एससीईआरटी वंदना गर्ब्याल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का भी गठन कर दिया गया है। हमारी विरासत किताब के शीघ्र संकलन के लिये सभी डायटों के प्रधानाचार्यों को अपने-अपने जनपदों से जुड़ी जानकारियां इकट्ठा कर एससीईआरटी को उपलब्ध कराने को कहा गया है।

विभागीय मंत्री ने बताया कि हमारी विरासत पुस्तक को प्रथम चरण में कक्षा-6 से कक्षा-8 तक के पाठ्यक्रम में लागू किया जायेगा। जिसमें राज्य के पौराणिक, एतिहासिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक महत्व की जानकारी उपलब्ध रहेगी, इसके अलावा प्रदेश की महान विभूतियों, वीरांगनाओं, सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े सैनानियों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, साहित्यकारों, विभिन्न आंदोलनों एवं खेलों से जुड़े व्यक्तियों, तीर्थ स्थलों, पंच प्रयागों सहित ऐतिहासिक धरोहरों एवं घटनाओं की जानकारी भी पुस्तक में शामिल रहेगी ताकि छात्र-छात्राओं को प्रदेश के गौरवमयी इतिहास व संस्कृति की सही जानकारी मिल सके।

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