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उत्तराखंड सरकार के फैसले से PCS परीक्षा के लिए अनुत्तीर्ण हुई महिला, दिया चैलेंज

नैनीताल: ऐसे बहुत कम फैसले होते हैं, जिन्हें बिना किसी चुनौती के स्वीकार कर लिया जाए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि हर सिक्के के दो पहलू होना लाजमी सी बात है। उत्तराखंड सरकार की ने राज्य की महिलाओं की सुध लेते हुए प्रदेश में उन्हें सरकारी नौकरी में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का विधेयक पास किया तो इस फैसले की वजह से एक महिला को झटका लग गया। अब उसने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश निवासी आलिया ने क्षैतिज आरक्षण वाले सरकार के इस अधिनियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। आलिया ने बताया कि उत्तराखंड की स्थायी निवासी नहीं होने के कारण उसे उत्तराखंड अपर पीसीएस परीक्षा 2021 में उत्तराखंड की अभ्यर्थियों से अधिक अंक लाने के बाद भी आगे के लिए अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया है। गौरतलब है कि 2006 के एक आदेश पर हाईकोर्ट की रोक के बाद बीते साल याचिकाकर्ता का पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में चयन हुआ था।

मगर हाईकोर्ट की रोक के फैसले के खिलाफ जाते हुए राज्य सरकार ने 10 जनवरी 2023 को प्रदेश की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का विधेयक पारित कर दिया गया था। ऐसे में याचिकाकर्ता आलिया को पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए अनुत्तीर्ण बता दिया गया। उसके अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि उत्तराखंड राज्य के पास डोमिसाइल आधारित महिला आरक्षण प्रदान करने हेतु ऐसा कानून बनाने का विधायी अधिकार नहीं है।

अधिवक्ता का कहना है कि यह अधिनियम केवल हाईकोर्ट के आदेश के प्रभाव को समाप्त करने के लिए लाया गया है, जो कि वैधानिक नहीं है। भारत के संविधान में इसकी अनुमति नहीं है। ऐसे में मंगलवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से छह सप्ताह में जबाव देने को कहा है। अगली सुनवाई चार जुलाई को होगी और पीसीएस परीक्षा का परिणाम इस याचिका के अंतिम फैसले के अधीन होगा।

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