Editorial

कैशलेस सोसाइटी भारत के लिए चुनौती


हल्द्वानी– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 नंवबर को नोटबंदी का ऐलान करने के बाद से देश में भौचाल आ गया है। ये भौचाल केवल नगदी का है जो पहले लोगों की जेब की शान बढ़ाती थी अब वो उनसे रूठ गई है।नोटबंदी के बाद 500-1000 रुपए के नोट बंद होने से व्यापार में काफी नुकसान हुआ है। बैंकों में भी पैसा ना होने से दुकानदार और ग्राहक दोनों को परेशानी हो रही है। नोटबंदी को लागू हुए एक महीने से अधिक हो गया है लेकिन एटीएम और बैंकों की भीड़ कम होने का नाम नही ले रही है। पीएम ने 50 दिन का वक्त मांगा था लेकिन मौजूदा स्थिति देखकर ऐसा बिल्कुल नही लगता कि परेशानी 50 दिन में खत्म हो जाएगी। एटीएम 24*7 खुले है लेकिन केवल लोगों की लाइन के लिए।नोटबंदी के फैसले से देश खुश जरूर है क्योंकि इससे काला धन रखने वालों की नींद खराब हो गई है और देश को काफी धन मिल चुका है। देश से सरकार तो सकारात्मक सपोर्ट मिल रहा है तो सरकार कैशलेस ट्रासक्शन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। सरकार के अनुसार कैशलेस इंडिया से पैसे की हेराफेरी नही होगी और नगदी रखने से लोगों को छुटकारा मिलेगा। ये बाते जितना सुनने में आसान लगती है उतनी  है नही।

 

भारत में केवल 22 प्रतिशत आबादी के पास एटीएम कार्ड और और उनमें से केवल 6 प्रतिशत लोग इसका उपयोग करते है। भारत में 98 प्रतिशत काम नगदी के रूप में होता है। इसके साथ ही कैशलेस ट्रासक्शन की दुनिया इंटरनेट के बिना बेअसर है दोनों पहली भारत को कैशलेस ट्रासक्शन देश बनाने के लिए जरूरी है। पहले उन 5 देशों की बात करते है जहां कैश में काम बहुत कम होता है।बेल्जियम 7% ,स्वीडन 11%, डेनमार्क 25 %, यूके 11% और कनाडा में केवल 10% काम ही कैश में होता है। वहां बाजार में कार्ड ही बादशाह रहा है। वही भारत में 98% काम कैश से होता है। कैशलेश सोसाइटी बनानी है तो इंटरनेट की स्पीड भी बेहद अहम है। बैंकिंग और कार्ड से पेमेंट करना हो तो इंटरनेट की जरूरत पड़ती है और भारत यहां भी काफी पीछे है। इंटरनेट की स्पीड के मामले में भारत को 114 स्थान प्राप्त है। भारत में औसतन 3.5Mbps की स्पीड आती है। इस लिस्ट में सबसे आगे साउथ कोरिया है है जहां 29 mbps की स्पीड आती है। इसके बाद नोर्वे 21.3 और स्वीडन 20.6 में सबसे ज्यादा इंटरनेट स्पीड आती है। अब आप ही आंकडों से देख सकते है कि जिस देश में इंटरनेट गोली की रफ्तार से भागता हो उससे भी कैशलेस सोसाइट अपनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

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स्पीड और कैशलेस भारत दोनों ही जगहों पर काफी पीछे है। सरकार का कदम सराहनीय है ये हमसे पहले देश की जनता कह चुकी है लेकिन सरकार को देश को इस विषय में सही जानकारी देने की जरूरत है। अगर इंटरनेट स्पीड नही होगी तो सफल कैशलेस सोसाइटी बनना काफी मुश्किल होगा। नोटबंदी के बाद से देश में ऑनलाइन लेनदेन का कद काफी बड़ा है। कार्ड स्वाइप , पेटीएम,फ्रीचार्ज और मोबाइल बैकिंग लोगों की परेशानी कम करने में सहायता कर रही है। लेकिन देश में कार्ड का इस्तेमाल केवल 6 % लोग ही  करते है जिससे साफ है कि देश अभी भी कैश के पीछे भाग रहा है। और ये दायित्तव सरकार का बनता है कि वो लोगों को सही जानकारी से अवगत कराए।

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