देहरादूनः उत्तराखंड में होली के साथ लोकसभा चुनाव का भी रंग चढ़ने लगा है। वैसे तो उत्तराखंड में 5 ही लोकसभा सीट है पर अगर पिछले 10 साल की बात करे तो उत्तराखंड में भाजपा और काग्रेंस का ही दबदबा रहता है। पिछले 5 साल काग्रेंस की तो वर्तमान में भाजपा के पास पाचों सीट है। यही कारण है कि 18 मार्च से नामांकन शुरू होने के बाद भी किसी भी पार्टी ने नामांकन नहीं करा। अभी फिलहाल दोनों ही पार्टियों ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं करे है। उत्तराखंड में पहले चरण में चुनाव होने है जिसकी तारीख 11 अप्रैल घोषित कर दी गई है। उत्तराखंड में अब मात्र 23 से 24 दिन बाकी है और इस बीच होली का भी त्योहार है। इस कारण उत्तराखंड की राजनीति गरमाई हुई है।
सबसे पहला लोकसभा चुनाव जब बॉक्स में वोटरों ने डाले पेपर के टुकडे , फुल और सिक्के
सोमवार को उत्तराखंड में नामांकन का पहला दिन था जिसमें पुरे उत्तराखंड में एक भी नामांकन नहीं हुआ। अगर नामांकन पत्र खरीदने की बात करे तो उत्तराखंड राज्य में पाचों सीटो पर 48 उम्मीदवारों ने पत्र खरीदे । जिसमें पौड़ी सीट में दो बड़े नेताओं ने नामांकन पत्र खरीदे । इस घटना ने उत्तराखंड की राजनीति को हिला कर रख दिया। पौड़ी से भाजपा के नेता राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत ने नामांकन पत्र खरीद कर अपनी सबसे बड़ी दावेदारी कर दी है। तो काग्रेंस मे कुछ दिन पहले ही सामिल हुए मनीष खंडूरी ने भी पौड़ी सीट से नामांकन पत्र खरीद कर पौड़ी में भाजपा के साथ काग्रेंस के दावेदारों को भी हिला कर रख दिया। उत्तराखंड की राजनीति में खंडूरी परिवार का अहम योगदान माना जाता है भुवन चन्द्र खंडूरी पूर्व मुख्यमंत्री रहे है। साथ ही पौड़ी लोकसभा सीट से सासंद भी है। अचानक से मनीष खंडूरी के काग्रेंस में आने के बाद से उत्तराखंड की राजनीति का मौसम बदल गया है। अभी पौड़ी सीट पर दोनों पार्टियों ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं करे है।