हल्द्वानी: एक दिन पहले कुमाऊं कमिश्नर का कार्भायर संभालने वाले डी सेंथिल पांडियन ने अपनी सख्ती के तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कार्य के पहले दिन ही चेतावनी और निर्देश दे दिए थे कि स्वास्थ्य प्रशासन का ढिला रवैया बिल्कुल भी बर्दाश्त नही किया जाएगा। कुमाऊं कमिश्नर ने सुशीला तिवारी अस्पताल का किया निरीक्षण और कई मशीनों को खराब स्थिति में पाया गया। कमिश्नर पांडियन ने बिना नर्मी दिखाए चेतावनी दे डाली की अगर 15 दिन में मशीन भीतर मशीनें ठीक नही हुई तो नही सख्त कार्रवाई की जाएगी।उन्होनें अस्पताल में मौजूद मरीजों और उनके तीमारदारों से भी बात की और चिकित्सा सुविधाओं की जानकारी ली। तीमारदारों ने आयुक्त को बताया कि एमरजेन्सी में तैनात कार्यरत जूनियर डाक्टर्स का व्यवहार काफी आपत्तिजनक होता है, यहाँ तक कि वह आने वाले मरीजों न तो ढंग से देखते है और न ही उचित सलाह देते हैं। आयुक्त ने अस्पताल के दवा वितरण काउन्टर, पर्ची काउन्टर, बर्न यूनिट, डेंगू वार्ड, ओपीडी, ईएनटी, सिटी स्कैन, एमआरआई, गाइनो वार्ड आदि का निरीक्षण और अध्ययन किया। आयुक्त के अचानक निरीक्षण से अस्पताल प्रशासन और मेडिकल काॅलेज प्रशासन में हडकम्प मचा गया। हर कोई अपने को आयुक्त की नजर में बेहतर सिद्ध करने की कोशिश में लगा रहा था।
कमिश्नर पांडियन ने अस्पताल प्रशासन को कहा कि जन सेवा की भावना से कार्य करना आप लोगों की जिम्मेदारी है। उन्होनें कहा कि सरकार ने इस चिकित्सालय की स्थापना कुमायूं मण्डल के पर्वतीय क्षेत्रों के गरीब लोगों, अन्य प्रदेशों से आने वाले गरीब लोगों के इलाज और गरीब लोग राहत देने के लिए की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात ये बयां क रहे है कि यहां जन सेवा की भावना से कार्य नहीं हो रहा है। लोगों में संदेश है कि यह चिकित्सालय केवल रैफर सेन्टर बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य प्रशासन को अपनी छवि सुधारना होगा ताकि लोग हम पर विश्वास करें। उन्होनें डाक्टरों और स्टाफ को नसीहत देते हुए कहा कि हमें किसी के साथ गलत व्यवहार का कोई अधिकार नही है। आप लोग जनसेवा के लिए मौजूद है तो मरीजों और जनता के साथ मधुर व्यवहार बनाए। उन्होनें साफ चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्हे ये शिकायत दोबारा देखने को मिलती है तो वह सख्त कार्रवाई करने से बिल्कुर परहेज नही करेंगे।
पांडियन ने निरीक्षण के दौरान पाया कि मरीजों के इलाज के लिए महत्वपूर्ण मशीने सालों से खराब पड़ी है जिसमें धूल जम गई है। उन्होनें एमएस एके पाण्डे और मेडिकल काॅलेज के प्रधानाचार्य चन्द्रप्रकाश को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि मोनोग्राफी और अन्य मशीन को 15 दिन के अंदर ठीक करवा ले वरना निलंबन के लिए तैयार रहे। उन्होनें कहा कि मेरी बातो को हल्के में ना ले और इस बात को अवश्य ध्यान में रखें। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए है कि जल्द से जल्द अस्पताल की सफाई हो और गंदगी दूर की जाए। उन्होंने कहा कि मरीजों के लिए साफ हवा के लिए वेंटिलेशन ठीक करें।
कमिश्नर ने चिकित्सालय प्रबन्धन को आदेश देते हुए कहा कि गर्भवती महिलाओं के इलाज, उनकी दवाईयां, उनका भोजन, उनके आने-जाने का व्यय सरकार ने निःशुल्क कर रखा है। लिहाजा चिकित्सालय में आने वाली सभी महिलाओं को निःशुल्क सुविधाएं दी जाए। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों के लिए जो चिकित्सा सुविधाएं, चिकित्सा बीमा व टीकाकरण, संक्रामक रोगों से बचाव सम्बन्धित जो सूचनाएं एवं प्रचार साहित्य है, इसके साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारियों के नम्बर भी डिस्पले किये जायें। उन्होनें बताया कि वह 15 दिन बाद फिर अस्पताल का मुआयना करेंगे और दिये गये आदेशों की समीक्षा भी करेंगे।
इससे पहले पहले दिन की बैठक में भी कमिश्नर ने शिक्षा और स्वास्थ्य की बातों पर ही जोर दिया था। साथ ही कहा था कि वो निरंतर स्कूलों और अस्पतालों का निरीक्षण करेंगे। डीएम दीपक रावत अपने सख्त रवैये और कार्यप्रणाणी के लिए पूरे जिले में विख्यात है।कमिश्नर डी सेंथिल पांडियन ने भी पहले दो दिन का कार्यभार संभालने के बाद बता दिया है कि सुस्त प्रशासन के ऊपर कभी भी कानूनी डंडा पड़ सकता है।