नैनीताल: कोरोना काल में संक्रमण से ग्रसित कैदियों व कैदियो के टीकाकरण हेतु कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद इन्हीं सब मुद्दों पर बैठक बुलाई गई थी। जिसमें प्रदेश की जेलों में बंद 791 बंदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा करने की संस्तुति की गई। इसके अलावा कोरोना प्रोटोकॉल एवं सरकार द्वारा समय समय पर निर्गत दिशानिर्देशों का पालन करने को भी कहा गया है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सचिव गृह नितेश कुमार झा, आईजी कारागार अंशुमान, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव आरके खुल्बे शामिल हुए। उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा कार्यालय में सजायाफ्ता एवं सिद्धदोष कैदियों की रिहाई हेतु वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से यह बैठक संपन्न हुई।
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बता दें कि बैठक में जो संस्तुति की गई है उसके हिसाब से 106 सिद्धदोष बंदियों एवं 685 सजायाफ्ता बंदियों को तीन माह के लिए पैरोल या अंतरिम जमानत देने की बात सामने आई है। लिहाजा इसके पीछे का कारण कोरोनाकाल के दौरान जेलों में कैदियों की अधिक संख्या होना बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार समिति द्वारा उपरोक्त आदेशों का अनुपालन दो सप्ताह के अन्दर कर अनुपालन आख्या शीघ्र समिति को भेजे जाने के निर्देश दिए गए हैं।
सदस्य सचिव ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उच्च स्तरीय समिति द्वारा आदेशित किया गया कि कोरोना संक्रमित कैदियों की देखभाल आवश्यक रूप से की जाए। साथ ही उन्हें स्वास्थ्य विभाग से निर्देश लेकर ही छोड़ा जाए। समिति द्वारा यह भी निर्देश दिए गए कि जेलों में निरुद्ध कैदियों के स्वास्थ्य की परस्पर जांच की जाए तथा उनके टीकाकरण पर जोर दिया जाए।
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