हल्द्वानी: लाल रंग से पुती घर की देहरी व दीवारों पर सफेद रेखाएं महज रेखाएं भर नहीं हैं, यह उत्तराखंड के लोकजीवन का अहम हिस्सा हैं। इन रेखाओं में आस्था है और विश्वास भी। ऐपण नाम से प्रचलित यह परंपरा दीपावली के त्योहार में और समृद्ध हो जाती है। कोई घर ऐसा नहीं होता, जहां ऐपण नहीं दिखते। लोकजीवन का अभिन्न हिस्सा ऐपण की अनूठी परंपरा सदियों से प्रचलित है।
इस परंपरा का निर्वहन केवल दीपोत्सव में ही नहीं, बल्कि प्रत्येक उत्सवों, पर्वोत्सवों, व्रतोत्सवों व संस्कारोत्सवों में होता आ रहा है। महिलाओं के अंगुलियों के हुनर में बसे लोकपरंपरा के मर्म को बताती हैं स्टोरी।
जहां हल्द्वानी की अभिलाषा पालीवाल के नाम एक और उपलब्धि जुड़ी हैं। सिल्क की साड़ी को खूबसूरत ऐपण डिजाइन में रंगने वाली अभिलाषा को न्यूयार्क से डिमांड आई है। अभिलाषा के हुनर के सात समुंदर पार पहुंचने के पीछे रोचक अनुभव जुड़ा है। सिल्क की साड़ी को खूबसूरत ऐपण डिजाइन में रंगने वाली अभिलाषा को न्यूयार्क से डिमांड आई है।
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पर्वतजन आर्ट की संस्थापक अभिलाषा पालीवाल ने बताया इंस्टाग्राम पर साड़ी की तस्वीर शेयर होने के बाद न्यूयार्क में रहने वाली भारतीय मूल की माधवी ने उनसे संपर्क किया। माधवी ने ऐपण डिजाइन की तीन साडिय़ों की डिमांड की है। इस समय अभिलाषा पूरी शिद्दत के साथ साडिय़ों पर ऐपण उकेरने में जुटी हैं। बता दें रामपुर रोड निवासी अभिलाषा को पेंटिंग में काफी रुचि है।
दो साल पहले ऐपण आधारित पेंटिंग बनाना शुरू किया। अभिलाषा उत्तराखंडी लोक संस्कृति, कला को प्रदर्शित करती सामग्री तैयार करती हैं। तोरणद्वार, काटन बैग, बुक मार्क, पोस्टर, डायरी, घर-कार्यालय के बाहर लगाने वाले परिचय पट पर हाथ से उकेरे ऐपण ग्राहकों को काफी पसंद आ रहे।
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