हल्द्वानी: कहते हैं ना भीड़ से कुछ अलग करने की कोशिश की जाए तो नतीजा काफी अलग होता है। ऐसे नतीजे कई बार जिंदगी बदल देते हैं। कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के लागू होने के बाद हजारों लोग काम ना होने व नौकरी चले जाने को लेकर दुखी थे लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने इंटरनेट का सहारा लिया और कमाल कर दिया। हल्द्वानी के रहने वाले मनोज पांडे और उनकी पत्नी कुसुम पांडे आर्टिस्ट हैं। मनोज पांडे पेशे से ड्रमर हैं तो कुसुम पांडे इंटरनेशनल व नेशनल लेवल की पेंटर हैं। दोनों हल्द्वानी में रंगीत आर्ट सेटर चलाते हैं जो उत्तराखंड का पहला प्रिंट मेकिंग स्टूडियो है, जहां विद्यार्थी कला और संगीत में ट्रेनिंग लेते हैं। लॉकडाउन के बाद कोचिंग बंद हुई तो दोनों ने राज्य में कला के क्षेत्र में जुड़े युवाओं को विख्यात कलाकरों से परिचय कराने की पहल की। इसके लिए उन्होंने जुलाई में इंटरनेशनल ART फेस्टिवल का आयोजन किया, जिसमें सैंकड़ों कलाकरों ने भाग लिया। उनकी सोच थी कि इन कलाकरों की जिंदगी से विद्यार्थी सीखे और अपना करियर भी इस दिशा में बनाने का प्रयास करें।
पांडे दंपत्ति की मानें तो जब हम लोग इस क्षेत्र से जुड़े थे लोगों को लगता था कि यह क्षेत्र केवल मनोरंजन के लिए हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं… आज हम कला के बल पर अपनी पहचान बना रहे हैं। वक्त लग सकता है लेकिन अगर परिश्रम किया जाए तो मंजिल जरूर मिलती है। इंटरनेशनल ART फेस्टिवल में कई विख्यात लोगों से हमने सीखा है और अब इन चीजों को अपनी जिंदगी में उतारने की कोशिश करेंगे। इंटरनेशनल ART फेस्टिवल में आर्ट वर्क, पेंटिंग, कला, यात्रा, तकनीक और यात्रा से जुड़े अनुभवों को कलाकरों ने डिजिटल माध्यम से साझा किया था। इसमें भारत ही नहीं ऑस्ट्रेलिया, चीन, यूके और बांग्लादेश के कलाकर भी शामिल थे। इंटरनेशनल ART फेस्टिवल का समापन दो दिन पूर्व हुआ, डॉ उत्तम पचारणे ने वीडियो के माध्यम से रंगीत आर्ट सेंटर को अपनी शुभ कामनाएं दी और उत्तराखंड की लोकगायिका माया उपाध्याय ने अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति को प्रस्तुत किया।
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रंगीत आर्ट सेटर के संचालक मनोज पांडे और कुसुम पांडे ने बताया कि इस तरह का फेस्ट पहली बार हमारे राज्य में हुआ। हमारी कोशिश थी कि इसके माध्यम से राज्य व देश के युवा कलाकार अलग-अलग तरीके की आर्ट से रूबरू हों… कोरोनाकाल का वक्त हम ऐसे ही घर पर बैठकर बर्बाद नहीं कर सकते थे, जरूरत थी कि मौके को भुनाया जाए और इसी लक्ष्य के साथ हम यह आयोजन कराया। वक्त बदलने के साथ तकनीक में बदलाव आता हैं और ये जानना युवाओं के लिए जरूरी है। सबसे अहम बात नई जानकारियां उन्हें इस दिशा में भविष्य बनाने में कारगर साबित होती है। उन्होंने कहा कि जब तक नई चीजों को राज्य में नहीं लाया जाएगा तब तक इस क्षेत्र में नॉलेज बढ़ना मुश्किल रहेगा, हमारी कोशिश है कि उत्तराखंड के युवाओं को आगे बढ़ाया जाए ताकि वो अपने सपनों के साथ समझौता ना करें।
इन कलाकरों ने किया प्रतिभाग
- पद्मश्री के लक्ष्मा गौड़
- पद्मश्री श्याम शर्मा
- जय कृष्ण अग्रवाल
- हीम चटर्जी
- कविता नायर
- परमजीत सिंह
- हनुमान कांबली
- कृष्न आहुजा
- दत्तात्रेय आपटे
- आनन्द मोय बेनर्जी
- प्रणाम सिंह
- वी नागदास
- सुनील दार्जी
- अजय समीर
- अतिन बसाक
- डेविड फ्रेजर
- नागरबासी बर्मन
- पंडित हरविंदर शर्मा
- पंडित गौरव मजूमदार
- पंडित मुकुंद भाले
- पंडित जयदीप घोष
- आस्था गोस्वामी
- स्वर्गीय रविंद्र वर्मा
- प्रमोद बरुआ आदि ने प्रस्तुति दी।