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हम कब तक अपने तीर्थों का तमाशा बनाते रहेंगे ? कैंची धाम में इन गतिविधियों को रोकना होगा…

हल्द्वानी: मनीष पांडे: कैंची धाम और नीब करौरी महाराज इन दिनों वायरल हो रहे हैं। हर तरफ सोशल मीडिया पर कैंची धाम के वीडियो हैं। हर रोज देशभर से भारी भीड़ कैंची धाम पहुंच रही है। कलयुग में यूं भी दुःख इतने हैं कि इंसान दुखों के निवारण के लिए हर दरवाजा खटकाना चाहता है। मगर इस सब में कई बार चीजें बेकाबू हो जाती हैं। आस्था पर चोट पहुंचती है। इंसानी स्वार्थ धर्म और संस्कृति पर हावी हो जाता है।

बीते दिनों एक बड़े फिल्म अभिनेता का इंटरव्यू करते हुए उनसे जब कैंची धाम के बारे में बात हुई तो उनका कहना था कि केवल नीब करौरी महाराज ही हैं,जो विश्व विख्यात होने के साथ साथ कंट्रोवर्सी से मुक्त हैं। अन्यथा ओशो, सदगुरु, महर्षि महेश योगी आदि लोगों के साथ कुछ न कुछ विवाद रहे हैं। दुखद स्थिति यह है कि कैंची धाम और नीब करौरी महाराज के नाम पर भी कुछ समय से लोगों ने बट्टा लगाना शुरु कर दिया है। चूंकि महाराज ने मुझे अपने शिष्य के रुप में चुना है और रामजी, हनुमानजी की भक्ति मेरे भीतर पैदा की है, इसलिए मैं यह पोस्ट अपनी जिम्मेदारी, अपने धर्म के निर्वाह के रुप में लिख रहा हूं।

दो दिन से एक वीडियो खूब वायरल हो रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि बीते शनिवार कैंची धाम में इतनी भीड़ हुई कि मन्दिर प्रशासन की सभी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। सोशल मीडिया पर भीड़ की तस्वीर वायरल हो रही है। मेरे कुछ मित्र इसका जश्न मना रहे हैं। अज्ञानता में आदमी ऐसा ही करता है। वह घर फूंकने का तमाशा देखता है और ताली बजाता है। इतनी भीड़ के आने से कैंची धाम को नुकसान हो रहे हैं, उसकी तरफ़ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।

वर्तमान स्थिति यह है कि कैंची धाम,जो एक तीर्थ है, उसे पिकनिक स्पॉट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। जो भी आदमी हल्द्वानी, भीमताल, भवाली, कैंची धाम, नैनीताल में रहता है, इस बात से वाकिफ है। कैंची हनुमान मंदिर के नीचे बहने वाली महाराज की प्रिय मां शिप्रा नदी की बेअदबी में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जिस पूजनीय नदी के जल से महाराज ने भंडारे के लिए घी उत्पन्न किया था, आज भारी भीड़ आकर उसी नदी में बैठ रही है, कोल्ड ड्रिंक पी रही है, चिप्स खा रही है, जूते पहनकर घूम रही है।

शिप्रा नदी की मर्यादा और गरिमा का कोई ख्याल नहीं रखा जा रहा है। लोग पिकनिक स्पॉट समझकर शिप्रा नदी में फोटो शूट करा रहे हैं। वहां नदी के पत्थरों पर लेटकर फोटो खिंचाने के साथ पत्थरों पर नाम लिखा जा रहा है। जो लोग कैंची धाम निरंतर आते जाते रहते हैं, उनका कहना है कि लोग कोल्ड ड्रिंक की बोतल में शराब तक भरकर ले जा रहे हैं और शिप्रा नदी में बैठकर पी रहे हैं।

मगर सब कुछ देखने के बाद भी सब खामोश हैं। खामोशी के दो बड़े कारण हैं। पहला कारण यह है कि भीड़ आने से होटल, होमस्टे, रेस्टोरेंट, टैक्सी वालों का काम खूब जोर शोर से चल रहा है। मैं खुद निरंतर कैंची जाता हूं, देशभर से कैंची आने वाले बाबा के भक्तों को गाइड करता हूं। मैने खुद देखा है कि आज 100 रूपये का प्रसाद 300 रूपए में बेचा जा रहा है। 1500 का रूम 5000 रूपए में दिया जा रहा है। लूट खसोट का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं लोग। मुझे इस बात से जरा आश्चर्य नहीं होता। जो लोग कोविड में राशन, दवाई और कफन तक की कालाबाजारी, जमाखोरी कर पैसा बंटोर रहे थे,उनसे मैं क्या उम्मीद कर सकता हूं। कल एक आदमी का कॉल आया, जिसने बताया कि होटल से लेकर टैक्सी वाले और रेस्टोरेंट वाले लूट रहे हैं बाबा के भक्तों को। इधर होटल वालों पर प्रशासन ने नकेल कसनी भी शुरु की है।

मेरे लिए बाबा गुरू हैं। उनकी कृपा से मैं जीवित हूं, सांस ले रहा हूं। बाबा के धाम पर जो हो रहा है, वह दुखी करने वाला है। इस भीड़, अराजकता और अव्यवस्था के कारण भक्त अब कैंची धाम की चर्चा करते हुए दुखी हो रहे हैं। हम हिंदू फेसबुक पर फोटोज शेयर, स्टेटस शेयर करने में माहिर हैं। हम शहर में बाइक से रामनवमी पर रैली निकालने में अव्वल हैं। मगर हनुमान जी के तीर्थ को लोग पिकनिक स्पॉट बना चुके हैं और हमारी आत्मा सोई है।

मैंने इस सब के कारण महाराज के भूमियाधार आश्रम जाना शुरु कर दिया है। कैंची जाने पर जिस तरह का जाम, लोगों की भीड़, पार्किंग की अवस्था, महंगा प्रसाद, शिप्रा नदी की बेअदबी दिखती है, वो असहनीय है। इसलिए मैं हनुमानगढ़ और भूमियाधार जाना पसन्द करता हूं। मैंने कल से लेकर अभी तक स्थानीय प्रशासन, पुलिस अधिकारियों, राजनेताओं, स्थानीय कलाकारों और पत्रकारों को इस संबंध में जानकारी दी है। अभी कल मैं रवि रोटी बैंक के साथियों के साथ उच्च अधिकारियों को ज्ञापन भी देने जा रहा हूं। यह पोस्ट भी एक कोशिश है कि बात सुनी जाए, एक्शन लिए जाएं। कैंची धाम में सबका स्वागत है। मगर शिप्रा नदी, मन्दिर परिसर की गरिमा का ख्याल रखा गया। यहां आने वाली भारी भीड़ यदि अव्यस्था पैदा कर रही है तो यह अच्छा संकेत नहीं है। जोशीमठ, केदारनाथ प्रलय,ऋषिगंगा से हम नहीं सीखे तो कैंची धाम का भी वही हाल होगा, जो अन्य तीर्थो का हुआ और जो नैनीताल का हो रहा है।

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