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डिजिटलाइजेशन के लिए मास्टर है हल्द्वानी का द मास्टर्स स्कूल


हल्द्वानी: छात्र अपने जीवन का महत्वपूर्ण वक्त स्कूल में बिताता है। ये वही समय होता है जब छात्र अपने भविष्य को ले जाने वाली इमारत की नींव तैयार करता है। स्कूल के बाद उसकी जिंदगी पूर्ण तरीके से बदल जाती है। जो उसने स्कूल में सीखा होता है वही उसे आगे की जिंदगी में काम आता है। हल्द्वानी पिनियाली कठघरिया स्थित का द मास्टर्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल भी कुछ इस तरह से ये ही अपने छात्रों का निर्माण करता है। शहर में दो दशकों से अपनी सेवा दे रहा है।

स्कूल का लक्ष्य है कि अपने छात्रों को मास्टर्स की छवि प्रदान करना। स्कूल भले ही 20 साल पुराना हो लेकिन उसकी कार्यशैली बिल्कुल अाधुनिक है जिसे हम डिजिटल इंडिया का पूर्ण उदाहरण बोल सकते है। स्कूल में छात्रों की उपस्थिति लगाने के लिए बायोमेट्रिक का इस्तेमाल होता है जो बिल्कुल अलग है।

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स्कूल के प्रबंधक चंदन रैकवाल ने बताया कि छात्रों के लिए आधुनिकरण जरूरी है। नई कार्यशैली से उन्हें स्मार्ट तरीके से काम करना सिखाती है। वहीं बायोमेट्रिक पर उन्होंने कहा कि ये छात्रों की सुरक्षा के काफी अहम है। लोग केवल इसे उपस्थिति के रूप से देखते है लेकिन हमारे लिए ये छात्रों की सुरक्षा के लिहाज से अहम है। उन्होंने बताया कि अगर छात्र किसी कारण से स्कूल नहीं पहुंचा है तो हमें तुरंत पता चल जाता है। हम उनके अभिभावकों से इस बारे में जानकारी ले सकते है। वहीं स्कूल पूरी तरह से सीसीटीवी की निगरानी में है और छात्रों को सुरक्षा प्रदान करता है।

वहीं प्रधानाचार्य रमेश मेहरा ने कहा कि मास्टर्स स्कूल छात्रों को केवल पढ़ाई ही नहीं बल्कि खेलों में भी प्रोत्साहन देता है। हम चाहते है कि हमारा छात्र जब स्कूल से निकले तो वो हर क्षेत्र में मास्टर्स रहे। हम अपने स्कूल के नाम के अनुसार ही अपने छात्र की पहचान बनाने की कोशिश करते हैं।

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