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शहीद जनरल बिपिन रावत ने बदली भारतीय सेना की तस्वीर,कुछ इस तरह हुई थी सेना में एंट्री

नई दिल्ली: देश पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया है। इस हादसे में कुल 13 लोगों की मौत होने की पुष्टि हो गई है। तमिलनाडु के कुन्नूर में भारतीय सेना का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ । ये Mi-17V5 हेलिकॉप्टर था, जिसमें सीडीएस बिपिन रावत समेत 14 लोग सवार थे। जिस जगह से हादसा हुआ वह जंगल का एरिया था।सीडीएस बिपिन रावत के साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी मौजूद थी। इसके अलावा एक ब्रिगेडियर रैंक का अधिकारी, एक अन्य अधिकारी और दो पायलट मौजूद थे। 

बिपिन रावत के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। कुछ वक्त पहले देश बड़े मंत्रियों ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने सीडीएस के तौर पर बड़े काम किए। उनका सपना था कि जो काम सीडीएस में अमेरिका ने 20 साल में पूरा किया वह तीन साल में पूरा किया जाए। वह भारतीय सेना को एक लाइन में खड़ा करना चाहते थे। बिपिन रावत अपने पीछे दो बेटियों को छोड़कर गए हैं।

सीडीएस बिपिन रावत के पिता का नाम लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत है। बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे थे। बिपिन रावत ने सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकसला से शिक्षा हासिल की थी। वह दिसंबर 1978 को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से 11वें गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में शामिल हुए थे। उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर ‘से सम्मानित किया गया था। बिपिन रावत की पत्नी मधूलिका रावत आर्मी वेलफेयर से जुड़ी हुईं थीं। वो आर्मी वुमन वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष भी थीं।

CDS बनने से पहले बिपिन रावत देश के 27वें थल सेनाध्यक्ष थे। आर्मी चीफ बनाए जाने से पहले उन्हें 1 सितंबर 2016 को भारतीय सेना का उप-सेना प्रमुख बनाया गया था। उनके पास आतंकवाद को रोकने का एक बड़ा अनुभव था। उन्होंने ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्रों में भी कई सालों तक देश की सेवा दी। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें ‘परम विशिष्ठ सेवा मेडल’ से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ठ सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ठ सेवा मेडल आदि सम्मानों से नवाजा गया था।

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