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उत्तरकाशी के टीकाराम सिंह का कमाल,मडुवा पापडी को नीदरलैंड में फेमस कर दिया

हॉलैंड में लोगों को मडुवे और बुरांश के व्यंजन खिला रहे हैं उत्तरकाशी के टीकाराम सिंह

नई दिल्ली: अभी तक हम आपकों राज्य में युवाओं द्वारा पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के कार्य के बारे में बता रहे थे। इस बार हम आपकों एक ऐसे उत्तराखंडी के बारे में बताने जा रहे हैं जो हॉलैंड में पहाड़ के व्यंजनों को पहचान दे रहे हैं। जिन पहाड़ी उत्पादों के बाजार को पहाड़ के लोग नहीं पहचाते हैं, उनकी डिमांड विदेशों में बढ़ रही है। यह एक चिंता का विषय है। उत्तरकाशी ठान्डी गांव डुन्डा तहसील निवासी टीकाराम सिंह कई वर्षों होटल लाइन में काम कर रहे हैं। वह पेशे से एक शैफ हैं। उन्होंने दुबई में भी काम किया है। लॉकडाउन के चलते उन्हें गांव लौटना पड़ा था लेकिन उन्होंने इस दौरान पहाड़ी रैसेपी को बढ़ावा देने पर अध्यन किया।

पिछले साल लागू हुए लॉकडाउन के दौरान उत्तरकाशी पहुंचने पर टीकाराम सिंह ने विलुप्त हो रहे पहाड़ी व्यंजनों को नए सिरे से बाजार में उतारने का फैसला किया। इस दौरान उन्होंने 200 रेसिपी तैयार की है। टीकाराम कहते हैं कि हॉलैंड आने से पहले उन्होंने उत्तराखंड में भी इस काम को शुरू किया था लेकिन पहाड़ में वह बाजार नहीं मिल पाया। इसी लिए उन्हें दोबारा विदेश आना पड़ा। अगर काम अच्छा चले तो वह पहाड़ से ही काम करना पसंद करेंगे। वह चाहते हैं कि पहाड़ के युवा पीढ़ी को खेती कर उगने वाले उत्पादों के बारे में बताए। जिन उत्पादों को पहाड़ों में नजरअंदाज किया जाता है, उनकी महानगरों में मांग है। जो सामान हम बाहर बेच रहे हैं…. ऐसा हो सकता है कि लोग उन्हें खरीदने के लिए पहाड़ आए। इससे उत्तराखंड का पर्यटन भी बढ़ेगा। होटल लाइन से जुड़े सैंकड़ों लोग लॉकडाउन में उत्तराखंड पहुंचे थे। अगर सरकार का रवैया अच्छा रहता तो किसी को वापस जाने की जरूरत नहीं होती।

टीकाराम ने बताया कि हॉलैंड में उनकी मडुवा पापडी की काफी डिमांड है। वह जुलाई में उत्तराखंड से हॉलैंड पहुंचे थे। वह जिस होटल में काम करते हैं वहां पहाड़ी व्यंजन भी तैयार करते हैं। उन्होंने तीन डिश तैयार की जो हॉलैंड के लोगों को पसंद आई। इस लिस्ट में मडुवा पापड़ी, एक स्वीट ब्राउन चावल (देहरादून पुडिंग) और कद्दू का रायता शामिल है। ये सभी पहाड़ी व्यंजन सेहत के लिए लाभदायक हैं और इसलिए विदेशी लोग इन्हें पसंद करते हैं। टीकाराम सिंह चाहते हैं कि युवा अपने करियर को लेकर जल्दी बाजी ना करें। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में भले ही संसाधन की कमी है लेकिन अध्यन किया जाए तो कुछ ऐसे आइडिया जरूर आप निकाल सकते हैं जो आजीविका चलाने में मदद करें।

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