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कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची में उत्तरप्रदेश से एक भी नाम नहीं

Loksabha Election Update: Congress’ Candidates First List: Latest Update:

कहते हैं कि जो उत्तरप्रदेश जीता वो लोकसभा का चुनाव जीता। पूर्व में कांग्रेस की सरकार में भी जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, सोनिया गाँधी के साथ राहुल गाँधी भी लोकसभा का चुनाव उत्तरप्रदेश से लड़ चुके हैं। हालांकि 2019 में अमेठी लोकसभा सीट से राहुल गाँधी को भाजपा सांसद स्मृति ईरानी के सामने हार का सामना करना पड़ा था। यही कारण रहा कि उनके सामने अमेठी छोड़कर केरल की वायनाड सीट से सांसद बनने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प बचा। जहाँ भाजपा अपने उम्मीदवारों की पहली सूची में 195 नामों की घोषणा कर चुकी है वहीँ कांग्रेस भी आज से 10 मार्च के बीच कभी भी अपने उम्मीदवारों की पहली सूची सार्वजनिक कर सकती है। कांग्रेस की इस पहली सूची में लगभग 40 नामों की घोषणा होने की संभावना बनी हुई है।

आपको बता दें कि चुनाव आयोग 14-15 मार्च को लोकसभा 2024 के चुनाव की तारीख घोषित कर सकता है। इसी को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में दिल्ली, छत्तीसगढ़, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक और पूर्वोत्तर के राज्यों से उम्मीदवारों के नामों को स्वीकृति दे दी है। सबसे बड़ी हैरानी की बात इसमें यह है कि सत्ता का मार्ग कहे जाने वाले उत्तरप्रदेश से कांग्रेस अपनी पहली सूची में एक भी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं कर सकती है। भाजपा द्वारा अमेठी से दोबारा स्मृति ईरानी को टिकट देने के बाद अटकलें लगाई जा रही थी कि प्रियंका गाँधी को अमेठी से टिकट दिया जा सकता है लेकिन फिलहाल अभी इन सभी अटकलों पर कांग्रेस ने ब्रेक लगा दिया है। राहुल गाँधी का भी दोबारा केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ना तय है।

कांग्रेस के बड़े नेताओं जैसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी लोकसभा का टिकट दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि भाजपा की तरह लोकसभा 2024 के चुनावी मैदान में कांग्रेस अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी उतार सकती है, जिसमें अभी तक भूपेश बघेल को राजनंदगांव संसदीय क्षेत्र से टिकट मिलने की प्रबल संभावना है।

लेकिन जहाँ भाजपा ने उत्तरप्रदेश में 80 में से 80 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाकर अपनी पहली सूची में अमेठी समेत 51 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगा दी है। वहीं कांग्रेस अपनी पहली सूची में 40 उम्मीदवारों का नाम घोषित तो कर रही है लेकिन अगर इसमें उत्तरप्रदेश से एक भी नाम शामिल नहीं होता है तो यह पहले ही चरण में भाजपा की वैचारिक जीत की तरफ इशारा कर सकता है।

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