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कोई भी कैदी वोट नहीं दे सकता, पर क्या नेता बने रह सकता है?

Loksabha Election 2024: Indian Politics Current Status: Arvind Kejriwal Arrest:

विपक्ष का कहना है कि वो 2024 का लोकसभा चुनाव भारत के लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। अभी कुछ ही दिनों पहले ED ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए गए। विपक्ष के इन आरोपों में देश की जांच संस्थाओं और कोर्ट को भी मोदी सरकार की कठपुतली बताया गया। भाजपा के प्रवक्ताओं ने इन आरोपों का जवाब देते हुए केजरीवाल की करतूतों को उनकी मौजूदा स्थिति का ज़िम्मेदार बताया। गिरफ्तारी के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर कार्यरत केजरीवाल क्या वोट दे सकते हैं?

अपनी विचारधारा के अनुसार भारतीय संविधान की रक्षा करने वाले और भाजपा के अनुसार भ्रष्टाचार में लिप्त, यह सभी विपक्षी राजनीतिक दल यह बात जानते हैं कि कोई भी कैदी वोट नहीं दे सकता। जी हाँ, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के तहत, पुलिस की वैध हिरासत में रहने वाले व्यक्ति और दोषसिद्धि के बाद कारावास की सजा काट रहे व्यक्ति मतदान नहीं कर सकते हैं। अब बात करें केजरीवाल के जेल जाने के बाद हो रहे प्रदर्शनों और उनके मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र ना देने की, तो यह अपने आप में लोकतंत्र का मजाक उड़ाने से कम नहीं है।

कांग्रेस ने केजरीवाल के समर्थन में 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में मोदी सरकार और ED के विरोध में प्रदर्शन की घोषणा की है। यह वही रामलीला मैदान है जहाँ से अरविन्द केजरीवाल ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी।

2011 में केजरीवाल ने प्रमाणों और अपने विरोध प्रदर्शन से कांग्रेस को सरकार से हटाने में अहम् भूमिका निभाई थी। वहीं 2024 में कांग्रेस उसी जगह पर प्रदर्शन कर के केजरीवाल को ईमानदार और सच्चा नेता बताते हुए उन्हें जेल जाने से बचाना चाहती है। अगर केजरीवाल जेल चले जाते हैं तो वो वोट नहीं दे सकते, इलेक्टोरल सूची में नाम होने के बावजूद उनका मताधिकार रद्द हो जाएगा।

भारत में सरकार सम्बंधित किसी भी जनप्रतिनिधि का वोटर होना ज़रूरी है, अगर कोई भी व्यक्ति खुद वोटर की सूची में नहीं आता उसे जनता अपना नेता या प्रतिनिधि नहीं चुन सकती। एक सवाल आखिर में यह भी उठता है कि जाती के नाम पर जनता के और पद के नाम पर कैदियों के बीच विपक्ष अपने राजनीती के लिए क्यों भेद-भाव कर रहा है?

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