देहरादून: राज्य में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंता जनक है मृतकों की संख्या बढ़ना जो लगातार बढ़ रही है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच कोरोना वैक्सीन के आने की बाते भी तेजी से बढ़ रही है जो राहत दे रही है। सरकार ने कोरोना वैक्सीन सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को लगाने के फैसला किया है। 94 स्वास्थ्यकर्मियों की सूची केंद्र सरकार को भेज दी गई है। इन सभी को वैक्सीन मुफ्त में लगाई जाएगी।
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कोरोना वैक्सानी आने के बाद उसे पर्वतीय क्षेत्रों के इलाके में कैसे पहुंचाया जाएगा, इस बारे में प्लान बनाया जा रहा है। इसके लिए बकायदा ट्रायल किया जा रहा है। दुर्गम इलाकों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। यह ट्रायल सबसे पहले नवंबर में किया गया था। फिक्स्ड विंग ड्रोन एक आइस बॉक्स में मेडिसिन बॉक्स लेकर देहरादून से मसूरी गया था। इसमें एक घंटे का वक्त लगा था।
इस बारे में उत्तराखंड ड्रोन ऐप्लिकेशन ऐंड रिसर्च सेंटर (डीएआरसी) डायरेक्टर अमित सिन्हा ने बताया, ‘यह वैक्सीन डिलिवर करने का शानदार तरीका है। यह ज्यादा वक्त नहीं लेता है। कुछ इसी तरह से दुर्गम स्थानों पर वैक्सीन पहुंचाना हमारा पहला लक्ष्य है।’ उन्होंने बताया कि वैक्सीन को -5 से -80 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर करना होगा। हम टेम्परेचर कंट्रोल करने की दिशा पर काम कर रहे हैं।
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अभी तक हम इसे 5 से 7 डिग्री तापमान तक मैनेज कर चुके हैं। एक्सपर्ट से टेक्निकल गाइडेंस ली जा रही है। इसे शुरू करने के लिए पहले राज्य को डीजीसीए से अनुमति लेनी होगी। उन्होंने बताया, ‘पेलोड भारी होगा इसलिए डीजीसीए से इजाजत लेना जरूरी होगा।’ उत्तराखंड अपने हेल्थवर्कर के टीकाकरण की लिस्ट केंद्र को भेज चुका है। इसमें नर्स, डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, मेडिकल स्टूडेंट, आशा वर्कर, एएनएम और दूसरे स्वास्थ्य कर्मचारी शामिल हैं।
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बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब ड्रोन की मदद से कुछ ऐसा किया जा रहा हो। इससे पहले जून 2019 में एक अनमैन्ड एरियल वीइकल (यूएवी) के जरिए टिहरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से करीब 36 किमी दूर ब्लड सैंपल भेजे गए थे। ड्रोन से केवल 18 मिनट में ब्लड सैंपल पहुंचा दिया गया था जबकि सड़क मार्ग को यह रास्ता तय करने में 70 से 100 मिनट का समय लगता है।