आज मनुष्य पर शारिरिक रोग से अधिक हावी है मानसिक रोग।भारत में अघातक बीमारी के बोझ के प्रमुख कारणों में मानसिक विकार है, किंतु इनके प्रसार ,बीमारी के बोझ और जोखिम कारक को व्यवस्थित रूप से समझना बहुत जरूरी है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मानसिक रोग के शिकार बहुत-से लोग इलाज करवाने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग उनके बारे में न जाने क्या सोचेंगे ।अगर आपको पता चलता है कि आपको या आपके किसी अपने को मानसिक रोग है, तो ज़ाहिर है आपको बहुत दुख होगा। लेकिन शुक्र है कि इस रोग का भी इलाज है।
आज विश्व डॉक्टर दिवस के उपलक्ष में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा शर्मा ,ने इस बहुप्रख्यात रोग के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए मन के रोगों मे साइकोलोजिकल उपचार की महत्ता बताई। इससे आपको पता चलेगा कि मानसिक रोग क्या है और इससे कैसे छुटकारा पाएँ।मानसिक रोगों के ये सभी प्रकार उन्होंने समझाये ।
1.एंगजाइटी पैनिक अटैक(घबड़ाहट के दौरे)-तीव्र भय या घबराहट जो अचानक पैदा होते हैं और अपेक्षाकृत छोटी अवधि के होते हैं,धड़कन तेज होना ,पसीना आना ,छाती में दबाव ,गला बन्द होना ,सांस लेने में परेशानी ,बेचैनी इतनी बढ़ जाना की मृत्यु का डर । जरूरी नही कि ये लक्षण किसी घातक बीमारी के हों ,य़ह एक मन का रोग है औ पूणतः मनोवैज्ञानिक समस्या है ।
2- डिप्रेशन -उदासी ,अकेलापन बहुत ज्यादा गुस्सा,अगर आपको याद नहीं कि आप आखिरी बार खुश कब थे, ,आप लोगों से कटने लगे ,आप खुद से नफरत करते हैं और अपने आप को खत्म कर लेना चाहते हैं, महसूस हो कि कुछ भी ठीक नहीं हो रहा।ज्यादातर समय सिरदर्द रहना ,भूख न लगना ,वजन गिरना ,नींद की कमी या अधिकता ,याददाशत ,आत्मविशवास और एकाग्रता में भारी कमी ।
3- मेनिया-गुस्सा ,चीखना ,मारपीट ,गाली-गलौज ,अधिक पैसा खर्च करना,ज्यादा खाने की इच्छा करना, । अपने अन्दर दैविय शक्ति समझना ।इस रोग की गिरफ्त में आ रहा व्यक्ति भ्रम, काल्पनिक घटना या मिथ्या बातों को सच मानने लगता है।
4-आबसेसिव कम्पलसिव डिस्आर्डर- एक ही विचार का बार बार आना जैसे गन्दगी के,भयानक रोगों के ,ताला बार बार चैक करना, बार-बार हाथ धोना, बार-बार वस्तुओं को गिनना, बार-बार जाकर देखना कि दरवाजा बन्द है कि नहीं। अत्यधिक धोना या साफ करना ,बार-बार किसी चीज को जाँचना,अत्यधिक वस्तुएँ जमा करना,कामुक, हिंसक या मजहबी विचारों में डूबे रहना, आदि।
5-साइकोसोमेटिक डिसआर्डर-मन के प्रभाव से शरीर में उतपन्न रोग ,जैसे :-शारिरिक लक्षण होना ,व सभी शारीरीक जांचों के बाद भी किसी रोग का ना निकलना ,हाथ पैर दर्द होना ,पेट में अचानक दर्द होना ,उल्टी चक्कर आना,आदि।
6-बच्चों के व्यवहारिक रोग :-चंचलता ,एकाग्रता की कमी,याद ना होना , पढ़ने में मन ना लगना ,बिस्तर में पेशाब करना ,अधिक शैतानी करना ,भूल जाना ,बहाने बनाना, सोशल मिडीया का एडिक्शन ,आत्मविशवास की कमी ,कैरियर समस्या ।
7-नशा व लत पड़ना –शराब ,चरस ,सिगरेट ,स्मैक,आदि सभी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन ।
8- वैवाहिक जीवन संबंधी समस्यायें– लड़ाई झगड़े ,एक दूसरे की बात ना मानना ,शक करना,इगो, मन की बात ना बताना,आपसी मतभेद ।
उपचार-डॉ नेहा शर्मा ने जटिल रोंगों को ठीक करने के अपने अनुभव द्वारा बताया है कि मानसिक एंव मनोवैज्ञानिक रोगों को जड़ से मनोवैज्ञानिक चिकित्सा द्वारा पूर्णतः ठीक किया जा सकता है । उन्होंने 25 वर्ष ,30 वर्ष पुराने रोगियों को भी साइकोलॉजिकत उपचार देकर जीवन भर के लिए ठीक कर दिया है ।उन्होंने बताया इन रोगियों को कुछ साइकोलॉजिकल टेस्ट जैसे – काउंसलिंग ,साइकोथैरेपी जैसे-बिहेवियर थैरेपी,कौगनैटिवथैरेपी ,हिप्नोथैरपी,रिलैक्सेशन थैरेपी व मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग पूर्ण रूप से साइक्लॉजिकल समस्या है ।