हल्द्वानी: हिंदी भाषा को लेकर नई पीढ़ी भले ही गंभीर नहीं है लेकिन उत्तराखंड में कई ऐसे लोग हैं जो इसके प्रचार के लिए लंबे वक्त से काम कर रहे हैं। हिंदी भाषा को केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व में पहचान मिले, इस दिशा में वह कार्य कर रहे हैं। हिंदी भाषा को पहचान दिलाने की कोशिश कर रहे है लोगों में अल्मोड़ा जिले के राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बांगीधर की प्रभारी प्रधानाध्यापिका डॉक्टर शशि जोशी का नाम भी शुमार है। डॉक्टर शशि जोशी को “हिंदी विभूषणश्री” सम्मान मिलेगा।
रामनगर की रहने वाली डॉक्टर शशि जोशी ने हिंदी, राजनीति शास्त्र और शिक्षाशास्त्र से एमए की डिग्री प्राप्त की है। डॉ शशि इस समय अल्मोड़ा जिले के राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अध्यापिका के तौर पर कार्यरत हैं। वह हिंदी में कई कविताएं और कई गजलें भी लिख चुकी हैं। खास बात ये है कि उनकी रचनाएं पिछले दो दशकों से देश भर की पत्रिकाओं में प्रकाशित होती आ रही हैं। पिछले 20 वर्षों में उनकी दो सौ से अधिक रचनाएं देश भर की पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी हैं। अब तक वे अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता, शब्द निष्ठा सम्मान आदि की हकदार भी रह चुकी हैं। इसके अलावा नई उड़ान, गीत मेरे सबके लिए, राम की शक्तिपूजा, संशय की एक रात, झरोखा चंद गजलों का पुस्तकों की लेखिका भी हैं।
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यह घोषणा हिंदी सेवा न्यास की ओर से छठें अंतरराष्ट्रीय साहित्य का सम्मान समारोह के लिए की गई है। बता दें कि केबी हिंदी न्यास की ओर से पूरे देश भर में हिंदी विषय के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले लोगों को, हिंदी का प्रचार-प्रसार करने वाले लोगों को और हिंदी साहित्य में नाम करने के लिए यह सम्मान दिया जाता है।इस सम्मान के लिए पूरे देश में 8 लोगों का चयन हुआ है और डॉक्टर जोशी का नाम होना पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सम्मान समारोह नवंबर में होगा। हिंदी विभूषणश्री सम्मान के लिए कुल 8 लोगों को चुने गए लोगों को पुरस्कार के रूप में 2100 की नगद धनराशि मिलेगी।
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