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पिता से लड़ाई, परिवार के खिलाफ जाकर की पढ़ाई…ऐसे IAS बनीं वंदना सिंह चौहान

देहरादून: मनुष्य की शक्तियों का अगर उसे पता लग जाए तो उससे ताकतवर इंसान पूरे संसार में कोई नहीं हो सकता। इंसान ठान ले तो असंभव को भी संभव कर सकता है। IAS वंदना सिंह चौहान की कहानी पर गौर करें तो उपर कही गई बातें सार्थक नजर आती हैं। परिवार से लड़ना, समाज की सोच से लड़ना और फिर सेल्फ स्टडी कर पहले ही प्रयास में AIR 8 लेकर आ जाना, वाकई हर कोई आईएएस वंदना सिंह नहीं बन सकता।

दरअसल पढ़ाई में रुचि होने के बावजूद घर के बड़े-बुज़ुर्ग नहीं चाहते थे कि वंदना ज़्यादा पढ़ाई-लिखाई करे। चूंकि वंदना सिंह के गांव में कोई अच्छा स्कूल नहीं था। इसलिए उनके भाईयों को पढ़ने के लिए पिता महिपाल सिंह ने बाहर भेजा। ऐसे में वंदना को भी अच्छे स्कूल से पढ़ाई करने का इंतज़ार था। मगर पिता ने वंदना के लाख बार सवाल करने के बाद भी जब मांग को अनसुना किया तो वंदना ने पिता पर ही सब्र का बांध तोड़ दिया।

वंदना ने पिता से कह दिया, ‘मैं लड़की हूं इसलिए मुझे पढ़ने नहीं भेज रहे ?’ इसके बाद क्या था, बात चुभी तो पिता ने वंदना के सपने ना टूटने देने की बात ठान ली। बता दें कि वंदना के पिता ने उन्हें मुरादाबाद कन्या गुरुकुल में पढ़ने के लिए भेजा। हालांकि, इस फैसले से वंदना के दादा, ताऊ और चाचा खुश नहीं थे। मगर पिता और बेटी निकल पड़े सपने पूरे करने की तरफ। वंदना ने 12वीं के बाद वकालत की और UPSC की तैयारी भी शुरू कर दी।

एक बार इंटरव्यू में वंदना सिंह ने बताया था कि गुरुकुल में जो अनुशासन का पाठ पढ़ा था वो UPSC की तैयारी में मददगार साबित हुआ। वंदना की मां की मानें तो गर्मी में वंदना ने कमरे में कूलर नहीं लगवाया था, ताकि ठंड से नींद ना आ जाए। वो सिर्फ कमरे में रहकर पढ़ाई करती थी। दिन में पढ़ाई का सिलसिला 18-20 घंटे तक चलता था। मेहनत रंग लाई और वंदना को UPSC 2012 परीक्षा में AIR8 मिला। कुछ इस तरह परिवार से लड़कर, समाज की रूढ़िवादी सोच को कूचलकर वंदना सिंह चौहान, IAS वंदना सिंह चौहान बनीं। वर्तमान में वंदना सिंह चौहान अल्मोड़ा की जिलाधिकारी हैं।

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