देहरादून: देश के कई राज्यों में साल के जंगल तेजी से कम हो रहे हैं। जिसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार समेत कई राज्य शामिल हैं। जंगलों में कमी आने से चिंतित केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन अनुसंधान संस्थान, इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट प्रोडक्ट रांची और ट्रॉपिकल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जबलपुर के वैज्ञानिकों को शोध के लिए कहा है।
वन अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वनस्पति विज्ञानी डॉ. वीके धवन ने बताया कि साल के जंगलों में तेजी से कमी चिंता का विषय है। कई संस्थानों के वैज्ञानिक इस दिशा में शोध कर रहे हैं। मेंलोटस, पिलेरोड्रेडरों, फ्लेमेंगिया जैसी सहायक वनस्पतियों के अत्यधिक दोहन से भी जंगलों पर असर पड़ा है। साल के जंगलों को बचाने के लिए मंत्रालय के स्तर पर तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।
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भारतीय वन सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में आरक्षित वन क्षेत्र जहां 4,34,853 वर्ग किलोमीटर है। वहीं, संरक्षित वन क्षेत्र का आंकड़ा 2,18,924 वर्ग किलोमीटर है। वन मंत्रालय के निर्देश पर तीनों संस्थानों के वैज्ञानिकों की टीम साल के जंगलोेें में आई कमी के कारणों का पता लगाने में लग चुकी हैं। यह वैज्ञानिकों की टीम उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के जंगलों में शोध कर रही है।
वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखंड समेत देश के तमाम राज्यों के जंगलों में लैंटाना, पार्सेनियम के साथ ही अजरेटम जैसी जंगली प्रजातियां तेजी से बढ़ी हैं। इसका सीधा असर साल के जंगलों पर भी पड़ा है। जिससे जगलों में कमी आ रही है।
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