देहरादून: सफलता पाने के लिए इंसान को जिस सीढ़ी को पार करना होता है, उसमें से एक सीढ़ी त्याग की भी होती है। अर्थात बिना त्याग लक्ष्य पा लेना आसान नहीं होता। अपने सपनों को पूरा करने के लिए जब कोई बच्चा घर से दूर रहता है, आम जीवन का त्याग करता है तो उसका मंजिल तक पहुंचना अथवा सफल होना निश्चित है। कूच बेहार ट्रॉफी के डेब्यू मैच में उत्तराखंड टीम के शतकवीर आरव की जितनी तारीफ की जाए कम है।
आरव महाजन ने उत्तराखंड की टीम से मेघालय के खिलाफ कूच बेहार ट्रॉफी में पदार्पण किया और अपने पहले ही मुकाबले में शानदार शतक जड़कर रिकॉर्ड बुक्स में अपना नाम दर्ज करा दिया। 137 गेंदों पर बेहतरीन 102 रनों की पारी से आरव ने ना सिर्फ उत्तराखंड के खेल प्रेमियों का दिल जीता है बल्कि टीम को एक पारी व 353 रनों की जीत दिलाने में अहम भूमिका भी निभाई है।
आरव की उम्र 16 साल है, उनका करियर भले ही अभी शुरुआती दौर में है मगर ये खिलाड़ी अभी से सबको प्रभावित कर चुका है। जम्मू के मूल निवासी आरव ने उत्तराखंड अंडर 14 (राज डूंगरपुर ट्रॉफी 2019-20) में सबसे पहली बार क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींचा था। जूनियर क्रिकेट से ही अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाने वाले आरव पिछले नौ साल से अपने परिवार से दूर देहरादून में रह रहे हैं।
देहरादून स्थित अभिमन्यू क्रिकेट अकादमी में आरव ने केवल सात साल की उम्र में ही दाखिला ले लिया था। बचपन से खेलने का शौक ही बच्चे को जम्मू से देहरादून ले आया। आरव के पिता का नाम अभिषेक महाजन है, जो जम्मू में एक व्यापारी हैं जबकि उनकी माता का नाम मुक्ति महाजन है । हल्द्वानी लाइव के साथ बातचीत में पिता ने आरव के शौक और जम्मू से देहरादून के सफर पर प्रकाश डाला है।
अभिषेक महाजन बताते हैं कि आरव को बचपन से क्रिकेट खेलने का शौक था। उसकी बल्लेबाजी में पहले से कुछ बात थी। मगर जम्मू में कम सुविधाएं होने के कारण उन्होंने उत्तराखंड आने का फैसला किया। पिता ने कहा कि बच्चा दूर हो, तो किसी माता पिता को अच्छा नहीं लगता। मगर आरव के जुनून ने ये ताकत भी दे दी। बहरहाल देहरादून एशियन स्कूल के इस छात्र ने गजब खेल दिखाकर हर किसी को प्रभावित किया है। आरव को आने वाले भविष्य के लिए हमारी तरफ से भी हार्दिक शुभकामनाएं।