हल्द्वानी: प्रदूषण के मामले में पहाड़ी इलाकों में हमेशा ही खतरा कम देखा जाता है। हालांकि अब तमाम संसाधन आने से कुछ क्षेत्रों की हवा बदलनी शुरू हुई है। लिहाजा नैनीताल जिले में तो प्रदूषण के आंकड़ों ने बीते कुछ समय में कई बार चौंकाया भी है। साफ है कि लॉकडाउन या कर्फ्यू ने इस डर को काफी कम किया है। कुमाऊं के जिलों में प्रदूषण की बात करें तो इसमें छह जिलों में से नैनीताल को चौथा नंबर मिला है। जबकि बागेश्वर की हवा सबसे बेहतर मानी गई है।
देखिए, कोरोना कर्फ्यू अब भी जारी है। हालांकि थोड़ी थोड़ी राहत पहले के मुकाबले जरूर मिली है लेकिन पुलिस ने हर इलाके में सख्ती बनाई हुई है। अब ज्यादा गाड़ियां ना चलने का असर भी हवा पर सकारात्मक रूप से पड़ता है। बहरहाल कुमाऊं के जिलों के लिए जो आंकड़े जारी हुए हैं वह भी इसी और इशारा करते हैं। बागेश्वर ने मैदानी इलाकों को पीछे छोड़ बाजी मारी है। यहां के लोग संक्रमण के मामले में भी काफी सख्ती से नियमों की पालना कर रहे हैं।
कुमाऊं में ऊधमसिंह नगर को छोड़ अन्य जिलों में कोई बड़ा इंडस्ट्री एरिया नहीं है। इसलिए यहां प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह वाहनों का शोर व धुआं है। बता दें कि बीती चार जून को ऊधमसिंह नगर में सबसे ज्यादा 134 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर प्रदूषण दर्ज किया गया था। जबकि इसी दिन बागेश्वर में महज 88 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया। जबकि अन्य बागेश्वर की तरह अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व चम्पावत जिले में ग्राफ कहीं ज्यादा था।
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आपको याद होगा कि अप्रैल की शुरूआत में जंगलों में किस तरह आग लगी हुई थी। पूरी हवा दूषित हो रही थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक छह अप्रैल को नैनीताल व हल्द्वानी में प्रदूषण चरम था। एयर फिजिबिलिटी का स्तर इतना भयंकर था कि सेना का हेलीकॉप्टर भी आग बुझाने को उड़ान नहीं भर सका था। हालांकि, 20 दिन बाद प्रदूषण स्तर में काफी गिरावट आ गई थी।
जिला – प्रदूषण (माइक्रोग्राम)
बागेश्वर – 88
चंपावत – 106
अल्मोड़ा – 101
नैनीताल – 115
पिथौरागढ़ – 117
यूएस नगर – 134
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