नई दिल्ली: सपने देखना और उन्हें पूरा करने का रास्ता काफी कठिन होता है। सपने देखता हर कोई है लेकिन उन्हें पूरा कुछ ही लोग कर पाते है। कई बार हालात इस सपने के बीच आ जाते हैं कुछ को अपने सपनों के साथ समझौता करने में मजबूर कर देते हैं। ऐसी ही कहानी है ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले अजय बहादुर सिंह की, जिन्होंने सपना देखा था डॉक्टर बनने का लेकिन पिता की मौत के चलते ये रास्ता सपनों की जगह समझौते की ओर चले गया।
घर का खर्चा चलाने के लिए उन्होंने चाय और शरबत भी बेचा लेकिन अपना डॉक्टर नहीं बन सके तो क्या उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को डॉक्टर बनाने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने वो स्टूडेंट्स को नीट की फ्री कोचिंग, भोजन और हॉस्टल की सुविधा मुहैया कराते हैं। वह चाहते हैं कि जिस कारण से उन्होंने अपने डॉक्टर बनने के सपने के साथ समझौता किया वैसा किसी और के साथ ना हो।
अजय ने साल 2018 से जिंदगी फाउंडेशन की नींव डाली, जहां वो जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। ये कोचिंग बिहार के जाने माने आनंद कुमार की ‘सुपर 30’ कोचिंग की तर्ज पर बनी है। यहां ऐसे स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाता है जो प्रतिभाशाली तो हैं लेकिन संसाधनों की कमी से महंगी कोचिंग में पढ़ नहीं पाते।
अजय की मेहनत रंग लाई और इस साल उनके पढ़ाए हुए 14 स्टूडेंट्स का NEET में सेलेक्शन हुआ है।वहीं अजय ने इस बारे में बताया कि उन्होंने 2018 में ज़िंदगी की शुरुआत की थी। इसमें 18 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था जिसमें से 12 को ओडिशा के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिल गया है।