नई दिल्ली: एक डायलॉग आपने सुना होगा, गरीब घर में पैदा होना नहीं बल्कि घर के हालात को सुधार नहीं पाना नाकामयाबी की निशानी होती है। फिल्मी डायलॉग TRP बढ़ाने के लिए अच्छे होते हैं लेकिन असल में जिंदगी कई सवाल पूछती है। चुनौतियों का सामना करने वाला ही असली चैंपियन होता है। इन्ही चैंपियनों की कहानी युवाओं को प्रेरित करती है। UPSC में कामयाबी हासिल करने वाले अधिकतर युवाओं की कहानी संघर्ष से होकर ही कामयाबी के शिखर तक पहुंचती है।
आज हम आपकों बिहार के विशाल की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने मां के परिश्रम को UPSC में कामयाब होकर फल दिया है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले विशाल ने 2121 यूपीएससी नतीजों में 484वां रैंक हासिल की। घर की आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे। पिता की 2008 में मौत हो गई थी। वो मजदूरी कर घर चलाते थे। पिता के निधन के बाद मां ने घर की जिम्मेदारी उठाई।
विशाल की मां रीना देवी ने बकरी और भैंस पालकर अपने परिवार चलाया। विशाल एक मेधावी छात्र थे। विशाल ने साल 2011 में मैट्रिक में टॉप किया था। इसके बाद उन्होंने साल 2013 में आईआईटी कानपुर में प्रवेश लिया था। इसके बाद उनकी नौकरी भी लग गई थी। वह UPSC की तैयारी भी कर रहे थे। अपनी मेहनत और धैर्य के बल पर विशाल ने कामयाबी हासिल की।
विशाल के जीवन में मां के अलावा उनके शिक्षक गौरी शंकर प्रसाद का भी योगदान रहा है। घर की हालत अच्छी नहीं है और ये गौरी शंकर जानते थे। उन्होंने अपने घर में रखा था। ये गौरी शंकर ही थे जिन्होंने विशाल को भरोसा दिलाया कि वह UPSC परीक्षा उत्तीर्ण कर सकते हैं। अपने गुरु की बाते सुनकर विशाल ने नौकरी छोड़ी और UPSC के सपने को साकार करने में जुट गए। आखिरकार उन्हें सफलता मिल गई।