हल्द्वानी:लॉकडाउन में कई लोगों का रोजगार चले गया था। महानगरों में नौकरी करने वाले उत्तराखंड लौटे थे। कई लोगों ने लॉकडाउन खुलने का इंतजार किया तो कई लोगों ने शहर वापस ना जाकर अपने गांव में ही कुछ करने का फैसला किया। इस तरह के कई कहानियां हम आपके पास ला चुके हैं.. लेकिन आज की कहानी थोड़ी अलग है।
नौसेना के कैप्टन महेंद्र सिंह लॉकडाउन के चलते गांव में फंस गए थे। उन्होंने कोरोना काल में घर पर खाली बैठने के बजाए खेती करने का फैसला किया। यह खेती पुरानी खेती से अलग थी। उन्होंने नई तकनीक की मदद से अदरक, तुलसी, कैमोमाइल, लहसुन और भिंडी की खेती शुरू की। इस खेती से उन्होंने अच्छी खासी आमदनी भी की। उन्होंने इस तकनीक को ग्रामीणों के साथ साझा किया और उसी के वजह से वह अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में ग्राम पंचायत पसमा निवासी महेंद्र नौसेना की मरीन में कैप्टन हैं। 20 मार्च 2020 को वह छुट्टी लेकर अपने घर पहुंचे ही थे कि कुछ दिन बाद लॉकडाुन लग गया। वह अपने गांव में ही फंस गए। उन्होंने इस दौरान टाइम बर्बाद करने के बजाए खेती करने का फैसला किया और खेत जोतना शुरू कर दिया।
इस बार धान और गेहूं की परंपरागत खेती नहीं बल्कि उन्होंने नई तकनीक से 25 नाली भूमि में अदरक, 10 नाली भूमि में कैमोमाइल के पौधे, चार नाली भूमि में लहसुन, तीन नाली भूमि में तुलसी और दो नाली भूमि में भिंडी की खेती शुरू की।
इस मुहिम में उनके भाई कमलेश सामंत ने भी उनका साथ दिया। जंगली जानवर खेती बर्बाद ना करें इसके लिए उन्होंने बाड़ लगाई। कुछ ही वक्त बाद उनकी मेहनत रंग लाने लगी और बाजार में उन्हें अपनी खेती का अच्छा रिटर्न मिला। उन्होंने इस तकनीक को ग्रामीणों के साथ भी साझा किया। उनके कार्य से कई अधिकारी भी प्रभावित हुए।
नौसेना के कैप्टन महेंद्र सिंह चाहते तो लॉकडाउन में घर पर बैठ सकते थे। उन्होंने ऐसा नहीं किया। अपना काम करे उन्होंने गांव के लोगों को प्रेरित किया जो अब यही कार्य कर रोजगार पा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने किसानों को लोन संबंधी जानकारी भी जो वह प्राप्त कर सकते हैं।