हल्द्वानी: भारतीय क्रिकेट का चमकता हुआ सितारा धीरे धीरे पूरे क्रिकेट के अंतरिक्ष में अपनी चमक बिखेर रहा है। क्रिकेट जगत के महापुरुष उसकी तारीफ कर रहे हैं। उत्तराखंड का यह लाल ज़मीन से जुड़ा होकर भी आसमान में खूब ऊंचाई पर उड़ रहा है।
आज हम बात पिथौरागढ़ के ऋषभ पंत की कर रहे हैं। जी हां, ऋषभ पंत मूल रूप से पिथौरागढ़ गंगोलीहाट के पाली गांव के हैं। यहां पर उनका एक पैतृक घर भी है। हाल ही में खत्म हुए अहमदाबाद टेस्ट मैच की पहली पारी में ऋषभ पंत की 101 रनों की पारी से पाली गांव में बेहद खुशी का माहौल है। एक बार फिर से यह गांव सुर्खियों में है।
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भारतीय क्रिकेट का स्पाइडरमैन कहे जाने वाले ऋषभ पंत ने अपनी प्रतिभा का परिचय देना काफी पहले ही शुरू कर दिया था। अंडर-19 विश्व कप, घरेलू क्रिकेट, आईपीएल और अब क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप यानी टेस्ट क्रिकेट में ऋषभ पंत अपनी छाप छोड़ रहे हैं। बहरहाल रुड़की हरिद्वार निवासी ऋषभ पंत के तार पिथौरागढ़ से भी जुड़े हैं।
ऋषभ पंत के दादा चंद्र बल्लभ पंत गंगोलीहाट के पाली गांव में रहते थे। करीब 30 साल पहले वह परिवार के साथ पाली गांव से रुड़की आ गए थे। जिसके बाद परिवार रुड़की में ही बस गया। ऋषभ पंत के पिता स्व. राजेंद्र पंत रुड़की में एक निजी स्कूल चलाते थे।
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ऋषभ पंत के के दादा चंद्र बल्लभ पंत के भाई लक्ष्मी दत्त पंत, लोकमणि पंत और बसदेव पंत का परिवार आज भी पाली में ही रहता है। पाली गांव के रहने वाले जीवन चंद्र पंत बताते हैं कि ऋषभ के परिजनों का पाली गांव से खासा लगाव है। पाली के आमडाली स्थित पुराने मकान में ऋषभ के बुज़ुर्गों की यादें शेष हैं।
ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में चौथे टेस्ट मैच में भारत की लड़खड़ाती पारी को शतकीय पारी से संभाला है। दूसरे दिन बल्लेबाज़ी करने उतरे ऋषभ ने 101 रनों की पारी खेलकर अपने टेस्ट करियर का तीसरा शतक जमाया है। बता दें कि यह भारत में उनका पहला अंतर्राष्ट्रीय शतक है। इस शतक के बाद से ही पाली गांव में काफी जश्न का माहौल है। ऋषभ पंत को इस पारी के लिए मैन ऑफ द मैच का खिताब भी मिला है।
आपका बता दें कि ऋषभ से पहले मनीष पांडे वह खिलाड़ी थे जो पहाड़ के छोटे से गांव से निकलकर इतने प्रसिद्ध हुए। मनीष पांडे बागेश्वर के रहने वाले हैं। इसके अलावा अंडर-19 विश्व कप 2018 में शानदार प्रदर्शन करने वाले कमलेश नागरकोटी भी बागेश्वर के ही रहने वाले हैं। कुल मिलाकर पहाड़ के बेटे पहाड़ का नाम रौशन कर रहे हैं।
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