Rajasthan

राजस्थान सरकार के तीन साल पूरे होंगे, गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल !

राजस्थान अखिर लंबे समय से चल रहे मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनैतिक नियुक्तियों पर आ रहीं अफवाहों का सच में सही होने का समय आ गया है । अब इस महीने गहलोत सरकार की तरफ से कभी भी फैसला लिया जा सकता है । इस वक्त पर सिर्फ हाईकमान के स्तर से हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है । प्रदेश प्रभारी अजय माकन की सीएम से लंबित राजनैतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर चर्चा पहले भी हो चुकी है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस मेंबरशिप अभियान और मोदी सरकार के खिलाफ नंवबर में होने वाले आंदोलन की बैठक के लिए माकन जयपुर आने वाले थे लेकिन एन वक्त पर विमान खराबी से उनका कार्यक्रम रद्द हो गया । पहले भी अजय माकन मंत्रिमंडल को लेकर विस्तार की बात कह चुके हैं।

सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनैतिक नियुक्तियों में इतनी देरी के पीछे सबसे बड़ा कारण अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच की अनमन को माना जा रहा है।दोनों ही के बीच बिगड़े रिश्तों की वजह से मंत्रिमंडल फेरबदल नहीं हो पा रहा था। पायलट गुट के मंत्रियों की मांगो पर विचार करने के लिए बनी कमेटी की बहुत बार इस विषय में चर्चा हो चुकी है। इसमें एक शेयरिंग फार्मूला की बात की गई थी जिसमें समझाया गया था कि कैसे पायलत गुट के मंत्रियों की नियुक्ति की जानी चाहिए । सचिन पायलट समर्थकों को मंत्रिमंडल और राजनैतिक नियुक्तियों में हिस्सेदारी का फार्मूला भी तैयार है। बताया जा रहा है कि इस शेयरिंग फार्मूला पर अब सीएम अशोक गहलोत भी लगभग सहमत हैं।

सचिन पायलट कैंप के विधायक पिछले काफी वक्त से सियासी बयान नहीं दे रहे हैं। वरना हमेशा ही उनकी तरफ से गहलोत सरकार पर प्रहार किया जाता रहा है । कटु बयान देने वाले पायलट समर्थक विधायकों के बदले रुख के पीछे मंत्रिमंडल विस्तार और राजनैतिक नियुक्तियों को ही कारण माना जा रहा है। कांग्रेस सही समय में रुख बदल कर विपक्ष से खेलना जानती है ।इसी कारण से भी शायद अब तक कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार बनाई हुई है ।

गहलोत सरकार में अभी 9 पद खाली है । एक व्यक्ति एक पद फार्मूला चला तो 12 जगह खाली हो जाएंगी । देखा जाए तो इस वक्त पर कुल विधायकों की संख्या के 15 फीसदी की सीलिंग के हिसाब से 30 मंत्री बन सकते हैं । इसका मतलब 9 पद पूरी तरह से खाली है और इनमें नियुक्ति की जाएंगी । वहीं, एक व्यक्ति एक पद फार्मूले के हिसाब से अगर संगठन में जिम्मेदारियों वाले नेताओं को मंत्रिमंडल से मुक्त किया गया तो 3 जगह और खाली हो जाएंगी। बीते दिनों में बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायक कई बार नाराजगी भी जता चुके हैं। पायलट कैंप के विधायकों को जगह देने के साथ सरकार का साथ देने वाले विधायकों को भी संतुष्ट करना बहुत बड़ा चुनौती का काम होगा। अब बस देखना यह है कि कैसे गहलोत सरकार अपना नया मंत्रिमंडल देश के सामने पेश करती है ।

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