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रुद्रप्रयाग के राघवेंद्र की पर्यावरण सेवा को प्रणाम,युवा संसद के लिए दिल्ली से आया बुलावा

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के युवा अपने काम से सुर्खियों में रहते हैं। उनके काम को लेकर रोजाना पढ़ा जाता है। वह अपने काम को सामाजिक सेवा से जोड़ते हैं। इसी क्रम में आज हम आपकों रुद्रप्रयाग जिले के देव राघवेंद्र बद्री के बारे में बताने जा रहे हैं । रानीगढ़ पट्टी के देव राघवेंद्र बद्री का चयन युवा पर्यावरण संसद के लिए हुआ है। वह 15 और 16 अप्रैल को दिल्ली के संसद भवन मेंआयोजित कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।

आपकों बता दें कि इस कार्यक्रम में देश भर से 50 युवाओं को चुना गया है और राघवेंद्र बद्री का नाम शामिल होने से पूरे उत्तराखंड का मान बढ़ा है। इस बारे में उन्होंने कहा कि विश्वास नहीं हो रहा है कि जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र के युवा को दिल्ली संसद से न्योता आया है। वह पूरी जिंदगी प्रकृति के संरक्षण को लेकर काम और लोगों को जागरूक करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का इस्तेमाल हर कोई कर रहा है। इस दिशा में सोचना जरूरी है तभी हिमालयी क्षेत्रों में पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन को रोका जा सकता है। प्राकृतिक जलस्रोतों का सूखना सबसे बढ़ी चिंता का विषय है।

देव राघवेंद्र बद्री का सफर बेहद खास रहा है। जब उन्होंने कार्य शुरू किया था जब इस बारे में कोई सोचता नहीं था लेकिन आज उनका काम सभी के लिए एक संजीवनी जैसा है। देव राघवेंद्र पिछले 10 सालों से पर्यावरण और जल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। देव राघवेंद्र ने अपने गांव में 500000 वृक्ष लगाकर मिसाल पेश की है।

देव ने एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी से पर्यावरण विज्ञान में पढ़ाई की है। जो वह पढ़ते हैं उसे अपने काम में अप्लाई करते हैं। वह ग्रामीणों को भी जागरूक करने का काम करते हैं। देव राघवेंद्र बद्री ने जल संरक्षण की विधियों के साथ ही सूखे जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की दिशा में भी काम किया है। देव राघवेंद्र बद्री प्रसिद्ध पर्यावरणविद् जगत सिंह के बेटे हैं।

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